यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा में फर्जी परीक्षार्थियों को बैठाने का दंड जिला विद्यालय निरीक्षकों को देने की तैयारी है। पिछले वर्ष जिन जिलों में ऐसे अभ्यर्थी चिह्न्ति हुए वहां के डीआइओएस पर जल्द ही कार्रवाई होनी है। शासन इस बात से खफा है कि आखिर ऐसे अभ्यर्थी परीक्षा में बैठ कैसे गए? वहीं, इस बार पांचों क्षेत्रीय कार्यालय फर्जी अभ्यर्थियों की जांच में जुटे हैं, उनकी तादाद करीब पचास हजार बताई गई है। उन सभी को प्रवेश पत्र जारी नहीं होंगे।
हाईस्कूल व इंटर के लिए कई ऐसे अभ्यर्थियों ने आवेदन किए।पंजीकरण और किस विद्यालय या जिले से आए हैं इसका स्पष्ट ब्योरा नहीं है। बोर्ड प्रशासन ऐसे अभ्यर्थियों को फर्जी मान रहा है। इस बार मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय में बड़ी संख्या में और अन्य जिलों में भी परीक्षार्थी पकड़ में आए हैं। क्षेत्रीय कार्यालय के स्तर पर विस्तृत जांच से शासन को भी अवगत कराया है। प्रकरण सामने आने पर पिछले वर्ष का प्रकरण भी खुल गया है, जिसमें अलीगढ़, आगरा आदि में करीब 17 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इस पर शासन खासा गंभीर है। अफसर ऐसे जिलों को चिह्न्ति करके वहां के जिला विद्यालय निरीक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में हैं। कहा जा रहा है कि ऑनलाइन आवेदन और तमाम सुरक्षा उपाय होने के बाद भी आखिर इतनी तादाद में परीक्षार्थी आवेदन करके परीक्षा में शरीक कैसे हो गए? जिले की टीम इस मामले में क्या कर रही थी? शासन ने ही कड़े निर्देश दिए हैं कि सभी आवेदकों की विस्तृत जांच कराकर फर्जी अभ्यर्थियों की छंटनी की जाए और उन्हें किसी भी दशा में परीक्षा में शामिल न होने दिया जाए।
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