Wednesday, January 31, 2018
फतेहपुर : अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक विद्यालय में चयन हेतु आवेदन पत्र का प्रारूप देखें व डाउनलोड करें
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उत्तराखण्ड : बीआरपी-सीआरपी के 1281 पद खत्म, समन्वयकों को उनके मूल पदों पर तैनाती के दिए आदेश
देहरादून: आखिरकार वही हुआ जिसका अंदेशा जताया जा रहा था। सरकार ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए विकासखंड संसाधन व्यक्ति (बीआरपी) और संकुल संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) के कुल 1281 पद समाप्त कर दिए। बीआरपी का प्रभार संबंधित उप शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) और सीआरपी का प्रभार नजदीकी विद्यालय के प्रधानाध्यापक को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। उक्त पदों पर कार्यरत समन्वयकों को उनके मूल पदों पर वापस भेजा गया है।
बीआरपी और सीआरपी के पदों पर तैनाती को लेकर शिक्षकों के बीच लंबे अरसे से खींचतान चल रही थी। बीआरपी और सीआरपी की नियुक्ति के लिए बनाई गई नई व्यवस्था का उत्तराखंड प्राथमिक शिक्षक संघ विरोध कर रहा था, जबकि उक्त पदों पर माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ होने के चलते माध्यमिक शिक्षक संघ नियुक्तियों को जल्द अंजाम देने का दबाव बनाए हुए था। शिक्षा मंत्री के साथ शिक्षक संगठनों की बैठक में भी इस मसले का आपसी वार्ता के जरिये समाधान नहीं हो सका था। यही नहीं इस मसले पर शिक्षकों के अदालत में दस्तक देने से बार-बार पैरोकारी को लेकर शिक्षा महकमा हलकान हुआ था।
‘दैनिक जागरण’ ने बीती दो अगस्त, 2017 के अंक में बीआरपी-सीआरपी के पद खत्म होने की खबर ब्रेक की थी। विद्यालयी शिक्षा सचिव डॉ भूपिंदर कौर औलख ने विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने और अनावश्यक न्यायालयी वादों से निजात पाने का हवाला देते हुए बीआरपी और सीआरपी की व्यवस्था को ही तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए। सचिव ने सर्व शिक्षा अभियान राज्य परियोजना निदेशक को बीआरपी और सीआरपी के रूप में कार्यरत समन्वयकों को उनके मूल पदों यानी बतौर शिक्षक तैनाती के निर्देश दिए हैं।
■ शिक्षकों की कमी व वादों से परेशान सरकार ने उठाया कदम
उत्तराखण्ड : शिक्षा प्रेरकों के रोजगार पर कैंची, बंद की केंद्रपोषित ‘साक्षर भारत कार्यक्रम’ योजना, एक जनवरी से योजना समाप्त
देहरादून : राज्य में 5155 शिक्षा प्रेरकों के रोजगार पर कैंची चल गई है। केंद्र सरकार से शिक्षा प्रेरकों के 19 माह के बकाया मानदेय की 17.52 करोड़ राशि का भुगतान नहीं होने पर राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। केंद्र सरकार के सहयोग से संचालित साक्षर भारत कार्यक्रम योजना को बीती एक जनवरी से समाप्त करने के आदेश सरकार ने जारी किए हैं।
राज्य के छह जिलों बागेश्वर, चंपावत, हरिद्वार, टिहरी, ऊधमसिंह नगर और उत्तरकाशी में केंद्रपोषित साक्षर भारत कार्यक्रम योजना संचालित की जा रही थी। इस योजना को केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर, 2017 तक बढ़ाया। हालांकि योजना अवधि बढ़ाने के बावजूद केंद्र की ओर से उक्त योजना के तहत राज्य में कार्यरत शिक्षा प्रेरकों के मानदेय का लंबे अरसे से भुगतान नहीं किया गया है। शिक्षा प्रेरकों को बतौर मानदेय तीन हजार रुपये स्वीकृत हैं। इनमें दो हजार रुपये केंद्र सरकार और एक हजार रुपये राज्य सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार पर जून, 2016 से सितंबर, 2017 यानी कुल 16 माह की अवधि तक शिक्षा प्रेरकों के मानदेय की 16.49 करोड़ की राशि बकाया है। बीते दिसंबर तक कुल तीन माह की विस्तारित अवधि की मानदेय राशि का तकरीबन 1.03 करोड़ राशि और केंद्र पर बकाया है। शिक्षा प्रेरकों की ओर से निरंतर मानदेय के भुगतान की मांग की जा रही है। राज्य सरकार इतना बड़ा आर्थिक बोझ उठाने में खुद को समर्थ नहीं पा रही है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से उक्त योजना को आगे भी जारी रखने और बकाया मानदेय पर चुप्पी साधे जाने के चलते राज्य सरकार ने उक्त योजना को एक जनवरी, 2018 से समाप्त कर दी है। इस संबंध में शिक्षा सचिव डॉ भूपिंदर कौर औलख ने आदेश जारी किए हैं। राज्य सरकार के इस फैसले से 5155 शिक्षा प्रेरक रोजगार से वंचित हो गए हैं।
बजट पूर्वानुमान : उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए हर राज्य में खुल सकता है महिला विश्वविद्यालय
नई दिल्ली : महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में जुटी सरकार बजट में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कुछ बड़े ऐलान कर सकती है। इसमें सभी राज्यों में महिलाओं के लिए अलग से विश्वविद्यालय खोलने जैसी घोषणा हो सकती है। इसके अलावा इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए भी उन्हें कुछ सहूलियत दी जा सकती है। इसके तहत उनकी सीटें तय की जा सकती हैं। मौजूदा समय में देश में महिलाओं के लिए अलग से 10 विश्वविद्यालय संचालित हैं। इनमें एक निजी क्षेत्र का भी है।
उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर सरकार ने हाल ही में उच्च शिक्षा को लेकर जारी एक रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया है। इसमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी काफी कम है। इंजीनियरिंग क्षेत्र में यह हिस्सेदारी और भी कम है। रिपोर्ट के मुताबिक अंडर ग्रेजुएट लेवल पर महिलाओं का प्रतिशत कुल नामांकन होने वाले छात्रों में 47 फीसद ही है। जबकि पुरुषों की भागीदारी 53 फीसद है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी मात्र नौ फीसद ही है। सरकार की कोशिश आने वाले तीन सालों में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाकर बीस फीसद तक पहुंचना है।
सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने वित्त मंत्रलय को हर राज्य में महिलाओं के लिए अलग से विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव दिया है। सरकार का मानना है कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उच्च शिक्षा में उनकी भागीदारी बढ़ाना जरूरी है। देश में महिलाओं के लिए अलग से पहला विश्वविद्यालय मुंबई में खोला गया था, इसे एसएनडीटी (श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकेरसाय) विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा देश में महिलाओं के लिए करीब 188 कालेज भी हैं।
इनमें 61 महिला कालेज अकेले पश्चिम बंगाल में हैं, जबकि 27 तमिलनाडु और 17 उत्तर प्रदेश में हैं।
■ बजट में किया जा सकता है एलान, मंत्रलय दे चुका है सुझाव।
■ मौजूदा समय में महिलाओं के लिए अलग से दस विश्वविद्यालय ही।
गोरखपुर : हर ब्लाक के पांच विद्यालय होंगे इंग्लिश मीडियम, शिक्षकों के चयन के लिए कमेटी गठित
जनपद के 100 परिषदीय विद्यालय बनेंगे इंग्लिश मीडियममुश्किलें भी कम नहींपहल शिक्षकों के चयन के लिए कमेटी गठित, खंड शिक्षा अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी, देना होगा आवेदन
परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भी कांवेंट स्कूलों के बच्चों के समकक्ष खड़ा करने के लिए प्रदेश सरकार ने कुछ परिषदीय विद्यालयों को इंग्लिश मीडियम बनाने का फैसला लिया है। गोरखपुर में 100 परिषदीय विद्यालय को इंग्लिश मीडियम में तब्दील किया जाना है, यानी हर ब्लाक में पांच-पांच विद्यालयों को बेहतर ढंग से विकसित किया जाएगा।
अंग्रेजी माध्यम की ओर अभिभावकों के झुकाव को देखते हुए राज्य सरकार ने चुनिंदा परिषदीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम का स्कूल बनाने का निर्णय लिया है। सभी जिलों को आदेश जारी कर इस बात का निर्देश दिया गया है कि हर हाल में अप्रैल से शुरू हो रहे नए सत्र से अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाई शुरू कर दी जाए। इन विद्यालयों में शिक्षकों के चयन के लिए कमेटी गठित की जा रही है।
ऐसे होगा चयन: विभाग की ओर से खंड शिक्षा अधिकारियों को अपने ब्लाक में विद्यालयों का चयन करने की जिम्मेदारी दी गई है। जो शिक्षक अपने विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम के रूप में विकसित करना चाहते हों, वे विभाग को आवेदन दे सकते हैं। ऐसे निकालेंगे उपाय नए शैक्षिक सत्र से इन विद्यालयों में पढ़ाई शुरू करनी है। विभाग उन विद्यालयों को चिन्हित कर रहा है, जहां ग्राम प्रधानों व समाज के अन्य लोगों की मदद से परिषदीय विद्यालयों में सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। इन विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने के इच्छुक शिक्षकों को तैनात कर पढ़ाई शुरू करायी जाएगी। इन विद्यालयों में पढ़ाई की शुरूआत समारोह पूर्वक होनी है। डायट प्राचार्य की अध्यक्षता में बनी कमेटी भी जल्दी ही शिक्षकों का चयन शुरू करने जा रही है।परिषदीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम के रूप में विकसित करने में चुनौतियां भी बहुत रहेंगी। बहुत से शिक्षक अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने को तैयार हैं लेकिन उनके यहां सुविधाओं की कमी है। अगर कमेटी शिक्षकों का चयन कर भी लेती है तो विद्यालयों में सुविधाएं देना बड़ी चुनौती होगी। अंग्रेजी माध्यम के बच्चों की तरह शिक्षा देनी है तो उन्हीं की तरह सुविधाएं भी देनी होंगी जबकि अधिकांश परिषदीय विद्यालयों में डेस्क, बेंच भी नहीं। अभी भी कई परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं, जहां एक ही शिक्षक के भरोसे पढ़ाई चल रही है। जनपद में करीब एक हजार शिक्षकों की कमी है।
हर ब्लाक से पांच-पांच विद्यालयों का चयन किया जाना है। जो शिक्षक अपने विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करना चाहते हैं वे आवेदन दे सकते हैं। समय से इन विद्यालयों का चयन कर लिया जाएगा।रामसागर पति त्रिपाठी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
सीएम योगी बोले, परीक्षा में नकल नहीं .... तो नहीं, नकल होने पर डीएम, जिला विद्यालय निरीक्षक व जेडी होंगे जिम्मेदार
इलाहाबाद : की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा को लेकर प्रदेश सरकार का पहले दिन से जो स्टैंड रहा है, उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को और स्पष्ट कर दिया। उन्होंने अफसरों से दो टूक शब्दों में कहा कि ‘परीक्षा में नकल नहीं .. तो नहीं।’ बोले, सरकार इस इम्तिहान में नकल रोकने को कृत संकल्प है। इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह भी तय कर दिया कि यदि किसी जिले में नकल हुई तो वहां के जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक व संयुक्त मंडलीय शिक्षा निदेशक तीनों जिम्मेदार होंगे।
मुख्यमंत्री लखनऊ के लोक भवन में मंगलवार शाम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए परीक्षा तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परीक्षा में नकल रुकने से परीक्षार्थियों का ही भला होगा। वह अच्छे से पढ़ाई करेंगे और समाज व देश के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। परीक्षा के समय नकल रोकने के लिए परीक्षार्थियों से अभद्रता नहीं होनी चाहिए और न ही किसी तरह का दहशत का माहौल बनाएं, बल्कि उन्हें विश्वास में लेकर नकल को कड़ाई से रोकें। परीक्षा केंद्रों के अंदर नकल सामग्री जाने ही न पाएं इसलिए गेट पर ही सघन तलाशी हो, यांत्रिक उपकरण अंदर न ले जाने के पुख्ता बंदोबस्त करें। यह भी ध्यान रखें कि छात्रओं की तलाशी सिर्फ महिलाएं ही लें। इसमें पुलिस बल, एलआइयू व एसटीएफ आदि की पूरी मदद ली जाए। हर जिले को पर्याप्त संख्या में पुलिस बल मुहैया कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने गोरखपुर, बलिया, आजमगढ़, मेरठ, जौनपुर, अलीगढ़, बागपत, देवरिया, गाजीपुर समेत करीब ऐसे बीस जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों से संवाद किया। ज्ञात हो कि यह जिले नकल के मामले में कुख्यात रहे हैं। मुख्यमंत्री ने पूछा कि उनके यहां कितने परीक्षा केंद्र बने हैं, इम्तिहान के क्या इंतजाम किए गए हैं और कक्षों व परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे क्रियाशील हैं या नहीं? उन्होंने यह भी पूछा कि डीआइओएस बताएं कि उन्होंने कितने केंद्रों की व्यवस्था खुद जांची हैं। सभी अफसरों ने विश्वास दिलाया कि सारे इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं और लगातार नकल रोकने की रणनीति बनाई जा रही है। इसके पहले अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने परीक्षा तैयारियों की मुख्यमंत्री को विस्तार से जानकारी दी।
ज्ञात हो कि परीक्षा में साढ़े 66 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल होंगे और परीक्षाएं छह फरवरी से 10 मार्च तक चलेंगी। इसके लिए 8549 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, इनमें से 2087 केंद्र संवेदनशील, अति संवेदनशील हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग में उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, मुख्य सचिव राजीव कुमार, डीजीपी ओपी सिंह, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. अवध नरेश शर्मा, की सचिव नीना श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
महराजगंज : दो दिवसीय शैक्षिक मेले में डायट व ललिता सावित्री देवी महाविद्यालय के बीटीसी प्रशिक्षुओं की प्रदर्शनी को संयुक्त रूप से मिला पहला स्थान, डायट समेत 23 बीटीसी कालेज के प्रशिक्षुओं ने किया था प्रतिभाग
मेंहदी व सेमिनार में डायट तथा प्रश्नोत्तरी में भागीरथी व सरस्वती महाविद्यालय अव्वल:डायट परिसर में आयोजित मेंहदी प्रतियोगिता में डायट की मुस्कान व फरीन ने पहला, राजेंद्र तारांचद महाविद्यालय की प्रियंका कांदू व ब्यूटी ने दूसरा व प्रभावती देवी की फैजिया परवीन व मनाती विश्वकर्मा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। सेमिनार में डायट की पूनम गुप्ता व एहतेशाम ने पहला, माता रानी रूमाली देवी की पूजा जायसवाल व सपना पांडेय ने दूसरा व भागीरथी कृषक की रितिका गुप्ता व कल्याण सिंह ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भागीरथी कृषक व सरस्वती देवी टिकुलहिया को पहला स्थान, बृजलाल व सरस्वती देवी दमकी को संयुक्त रूप से दूसरा व सिरताज सिंह व डायट को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला। चित्रकला में रीना सैनी ने पहला तथा मुस्कान व अंकित ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार भाषण प्रतियोगिता में मु. आरिफ ने पहला, संजय गांधी ने दूसरा व राहुल श्रीवास्तव ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। सांस्कृतिक प्रतियोगिता में संगीत विधा में संगीत में कौशल किशोर व नाटक में गंगा इंस्टीटयूट को पहला स्थान सांस्कृतिक प्रतियोगिता के संगीत विधा में कौशल किशोर तेज प्रताप महाविद्यालय को पहला, राजेंद्र प्रसाद ताराचंद को दूसरा व ओमप्रकाश महाविद्यालय को तीसरा स्थान मिला। वहीं नाटक विधा में गंगा इंस्टीटयूट ने पहला, पंडित काशी दीक्षित महाविद्यालय ने दूसरा व गुरु गोरक्षनाथ महाविद्यालय जोगिया ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
दूसरे दिन भी स्टाल पर पहुंच लोगों ने बढ़ाया ज्ञान :
बाल विकास एवं पुष्टाहार, बेसिक शिक्षा विभाग, अग्निशमन विभाग तथा केएमसी के स्टाल पर पहुंच दूसरे दिन भी प्रशिक्षुओं व अन्य लोगों ने जानकारी प्राप्त की। सभी ने अपने ज्ञान के स्तर को बढ़ाने का कार्य किया। अग्निशमन विभाग के स्टाल पर अग्निशमन अधिकारी व कर्मियों ने तथा बेसिक शिक्षा व कार्यक्रम विभाग के स्टाल पर तैनात लोगों ने प्रशिक्षुओं को जानकारी प्रदान की।
पुस्तकों का दाम तय करने में अब एनसीईआरटी को भी पीछे छोड़ेगा यूपी बोर्ड, मिलेगी बड़ी राहत
इलाहाबाद : एनसीईआरटी का भले ही यूपी बोर्ड ने पाठ्यक्रम अपनाया हो लेकिन, अब बोर्ड उसे पीछे छोड़ने की तैयारी में है। यह काम पुस्तकों का ‘दाम’ तय करने में दिखेगा। सरकार इस कदम से अभिभावकों को बड़ी राहत दिलाएगी। बोर्ड मुख्यालय पर बुधवार को नए पाठ्यक्रम की पुस्तकों का टेंडर खोला जाना है। संकेत हैं कि इसमें अधिकांश किताबों का मूल्य एनसीईआरटी की बाजार में चल रही पुस्तकों से भी कम होगा। 17 प्रकाशकों ने टेंडर हथियाने के लिए कम दरों पर किताबें मुहैया कराने की दावेदारी की है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर 2017 में एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड बनाए हैं। कुछ ही महीने में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को अपनाया गया। अब नए शैक्षिक सत्र अप्रैल माह के पहले 26 हजार कालेजों में पढ़ने वाले करीब सवा करोड़ से अधिक छात्र-छात्रओं के लिए किताबें मुहैया कराना है। बोर्ड ने इसकी निविदा आमंत्रित कर ली है। इसे 27 जनवरी को खोला जाना था और कार्य आवंटन 29 जनवरी को प्रस्तावित था लेकिन, उसे टाल दिया गया था। अब बुधवार को टेंडर खोले जाएंगे। इसके लिए सभी 17 प्रकाशकों को बुलाया गया है। इन प्रकाशकों ने 46 ग्रुपों में निविदाएं डाली हैं, उम्मीद है कि एक प्रकाशक को दो ग्रुप का ही टेंडर मिलेगा। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक व बोर्ड के सभापति डा. अवध नरेश शर्मा भी पहुंच रहे हैं।
अभी तक यह माना जाता था कि एनसीईआरटी ही सबसे कम मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता की किताबें मुहैया कराता है लेकिन, इसे यूपी बोर्ड तोड़ने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो इंटरमीडिएट में गणित की जो किताब एनसीईआरटी में 130 से 135 रुपये में उपलब्ध होती है, वह किताब यूपी बोर्ड मात्र 65 से 70 रुपये में उपलब्ध करा सकता है। यह कदम अभिभावकों को बेहद रास आएगा, क्योंकि अभी तक निजी प्रकाशकों की किताबें उन्हें खरीदनी पड़ रही थी, जो चर्चित प्रकाशकों के मुकाबले महंगी पड़ती रही हैं। बोर्ड ने भौतिक, रसायन, गणित, अर्थशास्त्र, नागरिक शास्त्र व इतिहास आदि की किताबों का ही फिलहाल टेंडर कर रहा है। संभव है कि इसी सप्ताह यानी फरवरी के पहले सप्ताह में टेंडर आवंटन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। पहले टेक्निकल बिड खुलेंगी उसके बाद फाइनेंशियल बिड खोली जानी हैं। डा. अवध नरेश शर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी यानी बुधवार को ही पूरा हो रहा है। माना जा रहा था कि वह इस दिन कार्यभार किसी और सौंपेंगे लेकिन, अब उन्हें बोर्ड मुख्यालय पर टेंडर प्रक्रिया की अध्यक्षता करनी है। ऐसे में यह चर्चा तेज है कि उन्हें सरकार सेवा विस्तार दे सकती है। इसका आधार बोर्ड परीक्षा बताया जा रहा है, वह बोर्ड के सभापति भी हैं। हालांकि इसका पटाक्षेप बुधवार को ही होगा।
अब डिग्री कॉलेजों में स्वकेंद्र परीक्षा नहीं, नकलविहीन परीक्षा के लिए यूपी सरकार पहली बार नियमावली बनाने जा रही
लखनऊ: प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में अब स्वकेंद्र परीक्षा नहीं होगी। यहां के छात्र-छात्रओं को दूसरे परीक्षा केंद्रों में जाकर परीक्षा देनी होगी। नकलविहीन परीक्षा के लिए सरकार पहली बार नियमावली बनाने जा रही है। इस पर खुद डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा बुधवार को कुलपतियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये चर्चा करेंगे।
साफ है कि प्रदेश सरकार राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध डिग्री कॉलेजों में स्वकेंद्र परीक्षा प्रणाली खत्म करने जा रही है। स्नातक व परास्नातक दोनों ही परीक्षाओं यह नियम लागू होगा। नकल विहीन परीक्षा के लिए कितने छात्र-छात्रओं पर कितने पर्यवेक्षक तैनात होंगे इस पर भी निर्णय बुधवार को लिया जा सकता है। परीक्षा केंद्रों में नकल रोकने के लिए और क्या-क्या उपाय अपनाएं जाएं इस पर भी डिप्टी सीएम कुलपतियों के साथ चर्चा करेंगे।’
■ उच्च शिक्षा में नकल रोकने के लिए नियमावली बनाएगी सरकार
■ डिप्टी सीएम आज करेंगे कुलपतियों के साथ चर्चा
Tuesday, January 30, 2018
फतेहपुर : बिना अनुमति 3 ऐडेड कॉलेजों में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया अमान्य घोषित, डीआईओएस ने शासकीय नियमों के विपरीत भर्ती बताते हुए विज्ञप्ति का संज्ञान नहीं लेने को कहा
फतेहपुर : बिना अनुमति 3 ऐडेड कॉलेजों में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया अमान्य घोषित, डीआईओएस ने शासकीय नियमों के विपरीत भर्ती बताते हुए विज्ञप्ति का संज्ञान नहीं लेने को कहा।
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■ फतेहपुर : कई स्कूलो में 10 प्रवक्ता और 26 सहायक अध्यापक की अस्थाई नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी, 26 फरवरी तक करें आवेदन : क्लिक करके देखें विज्ञप्ति
फतेहपुर : अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों के लिए मांगे गए आवेदन, विज्ञप्ति हुई प्रकाशित, 12 फरवरी तक दे सकेंगे आवेदन
फतेहपुर : अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों के लिए मांगे गए आवेदन, विज्ञप्ति हुई प्रकाशित, 12 फरवरी तक दे सकेंगे आवेदन।
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बोर्ड परीक्षा : एलआइयू को जिला विद्यालय निरीक्षकों को रिपोर्ट देने का निर्देश, 2087 परीक्षा केंद्रों की होगी विशेष निगरानी
यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा में नकल माफिया का कितना दखल है, इसका अंदाजा सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि परीक्षा के लिए तय केंद्रों में से एक चौथाई (2087) को नकल के मामले में संवेदनशील व अति संवेदनशील घोषित किया गया है। इन केंद्रों पर नकल पर अंकुश लगाना सरकार, बोर्ड व जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी। यह भी सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसे कालेजों को परीक्षा केंद्र बनाया ही क्यों गया, जो नकल के लिए कुख्यात थे?
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की परीक्षाएं छह फरवरी से शुरू हो रही हैं। इसके लिए प्रदेश भर में 8549 परीक्षा केंद्रों का निर्धारण हुआ है, जहां पर 60 लाख से अधिक परीक्षार्थी इम्तिहान देंगे। प्रदेश सरकार ने इस बार परीक्षा केंद्र निर्धारण में पारदर्शिता व नकल माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए बोर्ड मुख्यालय पर साफ्टवेयर का प्रयोग किया। केंद्र तय करने के पहले फेज में सही से कार्य हुआ लेकिन, बाद में शासन ने परीक्षा की जिला समितियों का हस्तक्षेप यह कहकर बढ़वा दिया कि परीक्षा नकल विहीन कराने का दायित्व उन्हीं का है। ऐसे में बड़ी संख्या में ऐसे कालेज भी केंद्र बन गए हैं, जो नकल के मामले में खासे कुख्यात हैं। बोर्ड ने सभी जिलों व क्षेत्रीय कार्यालयों से रिपोर्ट लेने के बाद संवेदनशील व अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों की संख्या जारी की है। इसमें 1521 संवेदनशील व 566 अति संवेदनशील केंद्र चिन्हित हुए हैं, यह आंकड़ा कुल परीक्षा केंद्रों का एक चौथाई है। इसी से साफ है कि नकल माफिया अपने चहेते कालेजों को केंद्र बनवाने में सफल हो गए हैं। सरकार ने नकल रोकने के लिए इस बार सख्त निर्देश दिए हैं। अति संवेदनशील केंद्रों की निगरानी एसटीएफ से कराने को कहा गया है, वहीं स्थानीय खुफिया एजेंसियों एलआइयू को भी जिला विद्यालय निरीक्षकों को रिपोर्ट देने का निर्देश है। इसके लिए चिह्न्ति केंद्रों पर अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक व स्टेटिक मजिस्ट्रेट तैनात करने को कहा गया है। जिलों में यह सब भारी भरकम इंतजाम इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि दागी कालेजों को केंद्र बनने का मौका मिल गया है। जिला प्रशासन के साथ ही बोर्ड मुख्यालय के अफसर भी चिह्न्ति केंद्रों के लिए विशेष रणनीति बनाने में जुटे हैं।रा