यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा में नकल माफिया का कितना दखल है, इसका अंदाजा सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि परीक्षा के लिए तय केंद्रों में से एक चौथाई (2087) को नकल के मामले में संवेदनशील व अति संवेदनशील घोषित किया गया है। इन केंद्रों पर नकल पर अंकुश लगाना सरकार, बोर्ड व जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी। यह भी सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसे कालेजों को परीक्षा केंद्र बनाया ही क्यों गया, जो नकल के लिए कुख्यात थे?
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की परीक्षाएं छह फरवरी से शुरू हो रही हैं। इसके लिए प्रदेश भर में 8549 परीक्षा केंद्रों का निर्धारण हुआ है, जहां पर 60 लाख से अधिक परीक्षार्थी इम्तिहान देंगे। प्रदेश सरकार ने इस बार परीक्षा केंद्र निर्धारण में पारदर्शिता व नकल माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए बोर्ड मुख्यालय पर साफ्टवेयर का प्रयोग किया। केंद्र तय करने के पहले फेज में सही से कार्य हुआ लेकिन, बाद में शासन ने परीक्षा की जिला समितियों का हस्तक्षेप यह कहकर बढ़वा दिया कि परीक्षा नकल विहीन कराने का दायित्व उन्हीं का है। ऐसे में बड़ी संख्या में ऐसे कालेज भी केंद्र बन गए हैं, जो नकल के मामले में खासे कुख्यात हैं। बोर्ड ने सभी जिलों व क्षेत्रीय कार्यालयों से रिपोर्ट लेने के बाद संवेदनशील व अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों की संख्या जारी की है। इसमें 1521 संवेदनशील व 566 अति संवेदनशील केंद्र चिन्हित हुए हैं, यह आंकड़ा कुल परीक्षा केंद्रों का एक चौथाई है। इसी से साफ है कि नकल माफिया अपने चहेते कालेजों को केंद्र बनवाने में सफल हो गए हैं। सरकार ने नकल रोकने के लिए इस बार सख्त निर्देश दिए हैं। अति संवेदनशील केंद्रों की निगरानी एसटीएफ से कराने को कहा गया है, वहीं स्थानीय खुफिया एजेंसियों एलआइयू को भी जिला विद्यालय निरीक्षकों को रिपोर्ट देने का निर्देश है। इसके लिए चिह्न्ति केंद्रों पर अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक व स्टेटिक मजिस्ट्रेट तैनात करने को कहा गया है। जिलों में यह सब भारी भरकम इंतजाम इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि दागी कालेजों को केंद्र बनने का मौका मिल गया है। जिला प्रशासन के साथ ही बोर्ड मुख्यालय के अफसर भी चिह्न्ति केंद्रों के लिए विशेष रणनीति बनाने में जुटे हैं।रा
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