जनपद में संचालित 839 जूनियर विद्यालयों में 775 में हेड मास्टर की तैनाती नहीं है। यहां प्रभारी हेड मास्टर के भरोसे काम चलाया जा रहा है। यह स्थिति आठ वर्षो से सहायक अध्यापकों का प्रमोशन न होने के कारण है।
शिक्षक संगठनों ने प्रमोशन के लिए कई बार आवाज उठायी, लेकिन न्यायालय के स्थगन आदेश का हवाला देकर प्रमोशन से इन्कार किया जाता रहा है।जूनियर विद्यालयों में पदोन्नति न होने का खामियाजा प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों को भी भुगतना पड़ रहा है। जूनियर में सहायक अध्यापकों के पद खाली न होने के कारण प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक भी प्रमोशन से वंचित हैं।
क्या है मामला: सचिव बेसिक परिषद ने 14 जून 2014 को पदोन्नति का आदेश जारी किया था। उस आदेश पर दिनेश कुमार ने मुकदमा कर स्थगन आदेश ले लिया पर 28 मई 2015 को सचिव ने अपने उस आदेश को निरस्त कर दिया, लेकिन विभाग की ओर से इस आधार पर स्थगन रद नहीं कराया गया। इसी स्थगन के आधार पर प्रमोशन रुका है।
शिक्षक संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि जिस आदेश पर स्थगन मिला था, वह आदेश ही निरस्त हो चुका है तो विभाग न्यायालय में यह जानकारी देकर स्थगन निरस्त क्यों नहीं करा लेता।प्राथमिक शिक्षक संघ गोरखपुर के उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र ओझा का कहना है कि हेड मास्टरों की पदोन्नतियां न होने से स्कूलों में प्रशासनिक व्यवस्था प्रभारियों के भरोसे है और प्रत्येक वर्ष पदोन्नति के योग्य शिक्षक सेवानिवृत होकर पेंशन में नुकसान सहने को मजबूर हैं।
शिक्षक नेताओं का आरोप है कि अधिकारी नहीं ले रहे रुचि
न्यायालय में मामला लंबित होने के कारण जूनियर हेड टीचर के प्रमोशन नहीं हो रहे हैं।रामसागर पति त्रिपाठी, जिला बेसिक अधिकारी
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