नई दिल्ली : महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में जुटी सरकार बजट में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कुछ बड़े ऐलान कर सकती है। इसमें सभी राज्यों में महिलाओं के लिए अलग से विश्वविद्यालय खोलने जैसी घोषणा हो सकती है। इसके अलावा इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए भी उन्हें कुछ सहूलियत दी जा सकती है। इसके तहत उनकी सीटें तय की जा सकती हैं। मौजूदा समय में देश में महिलाओं के लिए अलग से 10 विश्वविद्यालय संचालित हैं। इनमें एक निजी क्षेत्र का भी है।
उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर सरकार ने हाल ही में उच्च शिक्षा को लेकर जारी एक रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया है। इसमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी काफी कम है। इंजीनियरिंग क्षेत्र में यह हिस्सेदारी और भी कम है। रिपोर्ट के मुताबिक अंडर ग्रेजुएट लेवल पर महिलाओं का प्रतिशत कुल नामांकन होने वाले छात्रों में 47 फीसद ही है। जबकि पुरुषों की भागीदारी 53 फीसद है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी मात्र नौ फीसद ही है। सरकार की कोशिश आने वाले तीन सालों में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाकर बीस फीसद तक पहुंचना है।
सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने वित्त मंत्रलय को हर राज्य में महिलाओं के लिए अलग से विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव दिया है। सरकार का मानना है कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उच्च शिक्षा में उनकी भागीदारी बढ़ाना जरूरी है। देश में महिलाओं के लिए अलग से पहला विश्वविद्यालय मुंबई में खोला गया था, इसे एसएनडीटी (श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकेरसाय) विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा देश में महिलाओं के लिए करीब 188 कालेज भी हैं।
इनमें 61 महिला कालेज अकेले पश्चिम बंगाल में हैं, जबकि 27 तमिलनाडु और 17 उत्तर प्रदेश में हैं।
■ बजट में किया जा सकता है एलान, मंत्रलय दे चुका है सुझाव।
■ मौजूदा समय में महिलाओं के लिए अलग से दस विश्वविद्यालय ही।
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