बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों को अंग्रेजी मीडियम करने की मुहिम तो शासन और प्रशासन द्वारा शुरू कर दी गई है, लेकिन इन विद्यालयों में पढ़ाने के लिए बेहद कम शिक्षक तैयार नजर आ रहे हैं। अधिकारियों के लगातार दौरों और निरीक्षणों के खौफ से शिक्षक इन विद्यालयों से दूर ही रहना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में गुणवत्तापरक शिक्षा की उम्मीद इन विद्यालयों से करना अभी जल्दबाजी होगी।
यह सभी को पता है कि अगर जिले में कोई परिषदीय स्कूल या मॉडल स्कूल में जरा सा भी सुधार नजर आता है तो अधिकारियों और राजनेताओं का दौरा इन्हीं विद्यालयों की ओर कूच करने लगता है। इससे एक तरफ जहां शिक्षकों में अधिकारियों और राजनेताओं के निरीक्षण से खौफ पैदा होता है और उनका ध्यान शिक्षण से ज्यादा विद्यालयों की देखरेख और सजावट की ओर लग जाता है वही दूसरी ओर बच्चों की पढ़ाई भी काफी हद तक प्रभावित होती है। अब शासन ने प्रत्येक ब्लाक के पचास परिषदीय विद्यालयों को अंग्रेजी मीडियम के विद्यालय में तब्दील करने का फैसला किया है। कवायद शुरू हो गई है और विद्यालयों को चिह्न्ति किया जा रहा है। इन विद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ाने के लिए परिषदीय शिक्षकों में से ही अंग्रेजी विषय के शिक्षकों का चयन किया जाएगा। इसके लिए बाकायदा परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। चयनित होने वाले शिक्षकों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाएगा। समस्या यह है कि इन विद्यालयों में पढ़ाने से शिक्षक बच रहे हैं। आए दिन अधिकारियों के होने वाले निरीक्षण और उनके रौब से बचने के लिए शिक्षक इन विद्यालयों में पढ़ाने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अधिकांश शिक्षक अपने मूल विद्यालय में ही नियुक्त रहकर शिक्षण करना चाहते हैं।
-फिलहाल तो अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के लिए परिषदीय विद्यालयों का चयन किया जा रहा है। अनेक शिक्षक अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। आवेदन आने के बाद स्थिति साफ हो सकेगी।
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