प्रदेश के अपर शिक्षा निदेशक बेसिक व माध्यमिक विनय कुमार पांडेय को सेवा से कार्यमुक्त कर दिया गया है। शासन ने यह निर्णय हाईकोर्ट के दो साल पुराने आदेश के तहत लिया है। इस कार्यवाही से अपर शिक्षा निदेशक के दो पद एक साथ रिक्त हो गए हैं। इन पदों का जिम्मा किसे सौंपा जाएगा यह निर्देश भी जारी नहीं हुआ है।
उप्र लोकसेवा आयोग से विनय कुमार पांडेय का चयन 1990 में हुआ था। पीईएस के चयन में वह वेटिंग में थे। उसी दौरान चयनित अभ्यर्थियों में से एक अभ्यर्थी ने दूसरे महकमे में कार्यभार ग्रहण कर लिया। ऐसे में पांडेय को एक अगस्त 1990 को मौका मिला और उन्हें उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान इलाहाबाद में रीडर के पद पर नियुक्ति दी गई।
दूसरे महकमे में कार्यभार ग्रहण करने वाला अभ्यर्थी एक वर्ष के भीतर ही पीईएस पद पर वापस लौट आया। ज्ञात हो कि चयन के एक वर्ष के भीतर चयनित पद पर आने की छूट है। ऐसे में पांडेय पीईएस में अतिरिक्त हो गए। उप्र लोकसेवा आयोग ने पांडेय का चयन रद कर दिया। पूर्व अपर निदेशक आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने स्थगनादेश जारी किया तो उनकी सेवा चलती रही। शासन ने 30 नवंबर 2006 को उन्हें सेवा में अनंतिम रूप से इस आदेश के साथ नियुक्ति दी कि उनकी सेवा हाईकोर्ट से पारित होने वाले अंतिम आदेश के अधीन रहेगी। पांडेय विभाग में निरंतर पदोन्नति पाते हुए अपर निदेशक के पद तक पहुंचे। इसी बीच चार अक्टूबर 2016 को हाईकोर्ट ने दिए गए अंतरिम आदेश को निरस्त करके याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट का आदेश होने के बाद भी यह प्रकरण करीब दो वर्ष से ठंडे बस्ते में रहा। पिछले दिनों शिक्षा निदेशक माध्यमिक की सेवानिवृत्ति को लेकर पदोन्नतियों की चर्चा हुई। उसमें निदेशक पद पर पदोन्नति पाने की वरिष्ठता में यह दूसरे नंबर पर थे, तभी हाईकोर्ट के आदेश का प्रकरण मीडिया के जरिए उछाला गया।
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