जांच रिपोर्ट
डीआईओएस की जांच में खुलासा,
46 स्कूलों के हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाओं का रिजल्ट लटक सकता है। स्कूलों की ओर से आंतरिक मूल्यांकन के अंक बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए गए। बिना इन अंकों के रिजल्ट नहीं तैयार किया जा सकता। जिला विद्यालय निरीक्षक मुकेश कुमार सिंह ने रविवार को ऐसे सभी स्कूलों के प्रबंधक और प्राचार्यों को फटकार लगाते हुए नोटिस जारी किया है। इसमें उन्होंने आदेश दिया है कि एक दिन में सभी स्कूल अंकों को अपलोड कर दें। अभ्यर्थियों के रिजल्ट में देरी हुई तो इसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी।
46 स्कूलों का रिजल्ट लटक सकता है
स्कूलों में बायोमीट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। इन सभी स्कूलों को एक अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र से पहले ये मशीनें लगवाने को कहा गया है। छात्रों के साथ ही शिक्षक और कर्मचारियों की उपस्थिति भी बायोमीट्रिक होगी। साथ ही रजिस्टर पर भी उपस्थिति दर्ज की जाएगी ताकि जब अधिकारी जाएं तो उसका मिलान कर सकें।
फर्जी स्कूल है गड़बड़ी की जड़ : शहर में लगभग 1800 फर्जी स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनके पास हाईस्कूल और इंटर की मान्यता नहीं है लेकिन यह कक्षाएं संचालित करवाते हैं। बाद में यह किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से साठ-गांठ कर वहां से अपने छात्रों के फॉर्म भरवाते हैं। इसके अलावा कई अभ्यर्थी ऐसे है जो शहरों के स्कूलों में पढ़ते हैं लेकिन फॉर्म ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल से भरते हैं ताकि नकल से अच्छे प्रतिशत आ जाएं।
रहे हैं। 13 में से आठ स्कूल माल के ही हैं। इसमें महात्मा मेमोरियल इंटर कॉलेज, गोडवा बरौकी इंटर कॉलेज, महेश सिंह सरस्वती इंटर कॉलेज, जय चंद्रिका इंटर कॉलेज, चंद्रशेखर आजाद इंटर कॉलेज, एसपी सिंह हायर सेकंड्री स्कूल, नन्हे सिंह स्मारक इंटर कॉलेज, एस पब्लिक स्कूल के नाम शामिल हैं। इसके अलावा महात्मा मेमोरियल इंटर कॉलेज, ब्राइट करियर इंटर कॉलेज, सेंटीनियल इंटर कॉलेज, डॉ. वीरेंद्र प्रताप इंटर कॉलेज, पंचशील इंटर कॉलेज और राजकीय इंटर कॉलेज में भी गड़बड़ी मिली है।
बायोमीट्रिक उपस्थिति का आदेश : इन स्कूलों में आगे से ये फर्जीवाड़ा रोकने के लिए विभाग अब बायोमीट्रिक अटेंडेंस का सहारा लेने वाला है। डीआईओएस मुकेश कुमार सिंह ने आदेश जारी कर सभी• एनबीटी संवाददाता, लखनऊ : यूपी बोर्ड परीक्षाओं में फर्जीवाड़े के आरोप में 13 कॉलेजों को जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) ने नोटिस जारी किया है। इन स्कूलों ने कॉलेज में विद्यार्थियों की उपस्थिति से ज्यादा पंजीकरण करवाए हैं। साथ ही परीक्षा के दौरान प्रवेश पत्र पर मौजूद जन्मतिथि और आधार कार्ड पर अंकित जन्मतिथि में भी अंतर पाया गया। डीआईओएस की जांच में पाया गया कि कई अभ्यर्थी अपनी आयु कम दर्ज करवाने के लिए दोबारा परीक्षा में शामिल हुए। कॉलेज के अटेंडेंस रजिस्टर में जितने अभ्यर्थी थे, उससे ज्यादा परीक्षा में शामिल हुए। डीआईएस ने जांच के बाद इन स्कूलों पर कार्रवाई की है।
आधे से ज्यादा माल के स्कूल-कॉलेज : इस फर्जीवाड़े में भी माल के स्कूल-कॉलेज ही सबसे आगे नजर आ
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