फतेहपुर : गांव की पहिचान और बच्चों को पढ़ा लिखाकर शान बनाने वाले परिषदीय विद्यालयों को राज्यवित्त से मिलने वाली पोटली से संवारा जाने लगा है। विद्यालयों की बदहाली का बदनुमा दाग हटाने के लिए डीएम के द्वारा उठाए गए सकारात्मक पहल का असर धरातल पर दिखने लगा है। इन चिन्हित विद्यालयों की चकाचक फर्श पर बच्चे धूल मिट्टी के बिना बैठ पाएंगे तो आधुनिक सुविधाओं से युक्त शौचालयों में पानी की व्यवस्था भी हो सकेगी।
जिला प्रशासन की योजना है कि ग्रामसभा की सरकारी धरोहर के रूप में पहिचान बना चुके इन स्कूलों को आने वाले समय में ग्रामसभाएं विकास कार्य में शामिल करेंगी। बेसिक शिक्षा के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। इन विद्यालयों को समस्याओं के मकड़जाल ने फंसा रखा है। बेसिक शिक्षा के पास ऐसी कोई बड़ी रकम नहीं आती है जिससे कि इन विद्यालयों का कायाकल्प लिया जा सके। पेयजल मुहैया कराने के लिए नए हैंडपंप में जल निगम को देने वाले 72,500 रुपए के लिए जिला प्रशासन की राह देखनी पड़ती है।
डीएम कुमार प्रशांत ने परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए बीएसए से रिपोर्ट तलब की थी। जिसमें विद्यालय की जरूरतों का जिक्र किया गया था। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए पंचायतराज विभाग को शामिल करते हुए सुविधाओं में इजाफा करते हुए समस्याओं को खत्म करने का आदेश अक्टूबर माह में दिया था। इस आदेश का अमल धरातल में दिखने भी लगा है। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जिले में प्रथम चरण में 150 विद्यालयों को सूची में डाला गया है जिसमें 60 विद्यालयों में जमीन में टाइल्स लग गए हैं।
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