शिक्षामित्रों का कहना है कि जब वह 10 हजार के मानदेय पर काम करते हैं तो पढ़ाने के लिए योग्य हो जाते हैं. वहीं 40 हजार के वेतन के लिए उनको अयोग्य माना जाता है. उन्होंने इसे सरकार की दोहरी नीति बताया
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समायोजन रद्द होने के बाद एक बार फिर से सूबे के शिक्षामित्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है. फिलहाल शिक्षामित्रों ने चार दिन के लिए लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में डेरा डाला है. उनका कहना है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो वह बड़ा आंदोलन करेंगे. शिक्षामित्रों का कहना है कि समायोजन रद्द होने के बाद से उनका जीवन बदहाल हो गया है. उनका कहना है कि सरकार सभी शिक्षामित्रों को पैराटीचर के पद पर नियुक्त करे. जब तक उनकी नियुक्ति नहीं होती, तब तक उनको समान कार्य समान वेतन मिलना चाहिए.उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में समायोजन रद्द होने के बाद अब तक 500 से अधिक शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी है. उन सभी के परिवार को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए. शिक्षामित्रों का कहना है कि जब वह 10 हजार के मानदेय पर काम करते हैं तो पढ़ाने के लिए योग्य हो जाते हैं. वहीं 40 हजार के वेतन के लिए उनको अयोग्य माना जाता है. उन्होंने इसे सरकार की दोहरी नीति बताया.
शिक्षामित्रों के अनुसार उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है, वह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. एक सरकार ने नियुक्ति दी तो दूसरे ने समायोजन रद्द कर दिया. मालूम हो कि 25 जुलाई, 2017 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने सूबे के करीब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया था.
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