सरकार से मांगी सामूहिक फांसी शिक्षामित्रों का कहना है कि समायोजन के बाद उनकी जीवनशैली बदल गई थी. उन्होंने अपने बच्चों का अच्छे स्कूल में दाखिला करा दिया लेकिन कोर्ट के एक आदेश और प्रदेश सरकार की उदासीनता से उनकी दुनियां उजड़ गई है.
यूपी के कुशीनगर में अपनी मांगों को लेकर शिक्षामित्रों ने अपने खून से खत लिख कर सरकार के पास भेजा. सरकार के फैसले से नाराज शिक्षामित्रों का कहना है कि जब तक शरीर में एक भी खून का कतरा होगा वो अपना हक मांगते रहेंगे. देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,भाजपा अध्यक्ष अमिल शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को खून से खत लिखकर शिक्षामित्रों ने प्राथमिक विद्यालयों में बहाल करने की मांग की है.दरअसल कोर्ट ने तो शिक्षामित्रों को बहाल करने का आदेश दे दिया है पर राज्या सरकार ने इसपर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की. हालांकि कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन के प्रस्ताव को रद्द कर दिया था. समायोजन रद्द करने के बाद आंदोलन करके थक चुके शिक्षामित्रों ने अभी आस नहीं छोड़ी है. शिक्षामित्रों ने केन्द्र व प्रदेश सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए खून से खत लिखने का सिलसिला शुरू किया है.
शिक्षामित्रों का कहना है कि समायोजन के बाद उनकी जीवनशैली बदल गई थी. उन्होंने अपने बच्चों का अच्छे स्कूल में दाखिला करा दिया लेकिन कोर्ट के एक आदेश और प्रदेश सरकार की उदासीनता से उनकी दुनियां उजड़ गई है.समाज में उन्हें सम्मानित निगाह से नहीं देखा जा रहा है वे अब घुट-घुट कर जी रहे हैं. इसीलिए हम लोगों ने अपने खून से खत लिखना शुरू किया है क्योंकि अब हमारे शरीर में खून रहकर भी क्या करेगा, जब हम और हमारे बच्चे समाज से बहिष्कृत रहेंगे. शिक्षा मित्रों का कहना है कि या तो उन्हें बहाल किया जाए अन्यथा उन्हें सामूहिक रूप से फांसी दे दिया जाए.
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