बच्चों को मिलने वाली हर सुविधा से सुसज्जित है, निजी स्कूल हतप्रभ
अक्सर परिषदीय विद्यालयों की दुर्दशा व अध्यापकों की कार्य शैली को लेकर लोगों में आक्रोश रहता है। वहीं गांव ककराना में एक ऐसा स्कूल भी है जिसे देखकर ग्रामीणों को गर्व और उनके बच्चों को अच्छा भविष्य मिलने की उम्मीद बंधती दिखाई देती है। यह सभी की मेहनत व लगन से संभव हुआ है। आज यह स्कूल कान्वेंट को मात दे रहा है।
यहां पर एक ही परिसर के अंदर मौजूद प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का सुंदर व सजा भवन नए सत्र में बच्चों को दाखिले के लिए आकर्षित कर रहा है। स्टाफ ने भी कान्वेंट स्कूलों को मात देने की तैयारी करते हुए उन्हीं के तरीके से रंग बिरंगे पोस्टर गांव की गालियों में चस्पा करके बच्चों को दाखिले के लिए लुभाना शुरू कर दिया है। यह देखकर जहां ग्रामीण हतप्रभ हैं वहीं निजी स्कूलों के होश उड़े नजर आ रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी दीपा रंजन व ग्राम प्रधान दिनेश राणा के सहयोग से विद्यालय भवन को पूरी तरह से चकाचक कर दिया गया है। इसके साथ ही प्राथमिक विद्यालय के प्रधान अध्यापक रामकिशोर सिंह, उच्च प्राथमिक विद्यालय के कार्यवाहक प्रधान अध्यापक कृष्ण कुमार व शिक्षा मित्र अमरपाल सिंह सिसौदिया ने योजना बनाकर इस बार कान्वेंट स्कूलों के मात देने की योजना बनाई है। नि:शुल्क पुस्तकें, ड्रेस, बैग, जूते, मोजे, पौष्टिक भोजन, बिजली के पंखे, हवादार कमरों में फर्नीचर पर बैठने की व्यवस्था, प्रोजेक्टर द्वारा शिक्षण, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, खेल का मैदान, उपकरण, कम्प्यूटर शिक्षा, अंग्रेजी शिक्षा, योगा शिक्षा, स्वास्थ्य परीक्षण आदि सुविधाओं का दावा करते हुए अध्यापक टीम बनाकर गांव की हर गली हर मोहल्ले व घर में जाकर अभिभावकों की कांउसलिंग कर रहे हैं। वर्तमान में अब तक इन विद्यालयों में 170 के करीब छात्र छात्रएं हैं। लेकिन इस बार अध्यापकों ने लक्ष्य तय किया हुआ है कि वे नए सत्र में यह संख्या तीन गुना से अधिक करेंगे। उन्होंने दावा किया है कि वे हर प्रकार से निजी विद्यालयों की अपेक्षा बेहतर शिक्षा व सुविधाएं देंगे।
गांव ककराना का विद्यालय ’ जागरण-विद्यालय में हर वह सुविधा है जो निजी विद्यालय देने का दावा करते हैं और देते नहीं है। बल्कि उनसे भी सब कुछ बेहतर है। सरकारी स्कूल के प्रति मानसिकता बदलनी है। जिससे लूट से भी बचा जा सकेगा। इसके लिए आकर्षक पहचान पत्र उपलब्ध कराए गए हैं।
राम किशोर सिंह, प्रधानाध्यापक।विद्यालय को देखकर ही लगता है कि इससे बेहतर विद्यालय गांव में नहीं हो सकता है। सभी आधुनिक सुविधाएं इन विद्यालयों में दी जा रही हैं। निजी विद्यालयों के सामने एक बेहतरीन विकल्प मौजूद है। दिनेश राणा, ग्राम प्रधान, ककराना।
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