अभिभावक बोले-खोखले साबित हो रहे सरकारी फरमान
निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली का सिलसिला जारी है। बच्चों का दाखिला हो या कॉपी-किताबों की खरीदारी, इसको लेकर अभिभावकों पर दबाव बनाया जा रहा है। स्कूल द्वारा थमाई जा रही महंगी फीस का रसीद अभिभावकों की जेब ढीली कर रही है, जबकि मनमानी फीस पर अंकुश लगाने के मकसद से सरकार द्वारा दिसंबर 2017 में तैयार किए गए ड्राफ्ट स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक 2017 से अभिभावकों में आस जगी थी। दावा किया गया था कि अप्रैल से शुरू होने जा रहे नए सत्र में स्कूलों पर नकेल लगेगी, जिससे अभिभावकों पर पड़ रही महंगी फीस की मार को रोका जा सके, मगर सारे दावे खोखले रहे। उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से लेकर शिक्षाधिकारी फीस वृद्धि के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। अभिभावक संघ का कहना है कि सलाना फीस वृद्धि के बजाय तीन वर्ष में निर्धारित फीस वृद्धि की व्यवस्था हो। स्कूल शैक्षिक संस्था है न कि आय का जरिया। 20 हजार तक फीस वाले स्कूल भी दायरे में आने चाहिए। साथ ही अधिकतम शुल्क भी निर्धारित करें। यदि स्कूल किसी विशेष जगह से कॉपी-किताब या ड्रेस खरीदने का दबाव बना रहे हैं तो अभिभावक इस संबंध में शिकायत कर सकते हैं। उनकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी। डॉ मुकेश कुमार सिंह, डीआइओएस
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