इलाहाबाद : उच्चतर शिक्षा सेवा समूह ‘क’ के तहत चयनित जिन प्रवक्ताओं को अपने मंडल में भी नियुक्ति नहीं मिलनी चाहिए थी, वह नियमों को धता बताकर गृह जिले में तैनात हैं। उच्च शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश भर के विभिन्न जिलों में तैनात ऐसे 81 प्रवक्ताओं की सूची जारी की है। इनमें से कई लंबे समय से अपने गृह जिलों में सेवा देते हुए रिटायर होने को हैं। प्रदेश सरकार अब इन्हें सख्ती से अन्यत्र भेजने की तैयारी कर रही है।
प्रदेश के राजकीय स्नातक व स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में जिन प्रवक्ताओं को नियुक्ति मिलती है वह सेवा समूह ‘क’ यानी राजपत्रित संवर्ग में आते हैं। नियुक्ति की शर्तो के अनुरूप वह अपने मंडल में भी सेवा अवधि के दौरान तैनात नहीं हो सकते लेकिन, 81 प्रवक्ता ऐसे हैं जो अपने गृह जिले में तैनात हैं। शासन ने पिछले दिनों उच्च शिक्षा निदेशालय को वार्षिक स्थानांतरण नीति लागू करने से पहले ऐसे प्रवक्ताओं को खोजने का आदेश दिया। इसकी वजह यह है कि कई जिलों से लगातार यह शिकायतें मिल रही थी कि अपने गृह जिले में तैनात प्रवक्ता पढ़ाने की जगह स्थानीय राजनीति में ही जुटे हैं साथ ही नए शिक्षकों को कार्य भी नहीं करने देते।
यह प्रवक्ता समय-समय पर दूसरे विभागों में अहम पदों पर भी भेजे जाते हैं। लोकसभा या विधानसभा चुनाव के समय इन्हें अहम जिम्मेदारी इसलिए मिलती है, क्योंकि यह सेवा एक के अधिकारी हैं। स्थानीय होने के कारण यह चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। पिछली सरकारों ने इनकी ओर से नजरें फेर लीं, इसीलिए कई लंबे समय से एक ही जगह जमे हैं।
सूबे के बड़े जिलों मसलन लखनऊ, मेरठ, आगरा, इलाहाबाद आदि में ऐसे प्रवक्ताओं की संख्या अधिक है। उच्च शिक्षा निदेशालय के सहायक शिक्षा निदेशक संजय कुमार सिंह ने गृह जिले में तैनात प्रवक्ताओं को सूचीबद्ध करके उसे वेबसाइट पर डाला है साथ ही राजकीय कालेजों से इस संबंध में आपत्तियां मांगी है कि यदि किसी का गृह जिला गलत दर्ज है तो अवगत कराएं। इसके बाद यह सूची शासन को भेजी जाएगी।
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