निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर योगी सरकार अंकुश लगाने जा रही है। इसके लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक, 2018 के प्रारूप को मंजूरी दी जा सकती है। इस विधेयक के दायरे में वे निजी स्कूल आएंगे जिनका वार्षिक शुल्क 20 हजार रुपये से अधिक है। विधेयक में प्रावधान है कि निजी स्कूल अद्यावधिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पांच प्रतिशत जोड़ते हुए हर साल इतनी ही फीस बढ़ा सकेंगे।1इस विधेयक के अधिकार क्षेत्र में यूपी बोर्ड, सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूल आएंगे। यह अल्पसंख्यक स्कूलों पर भी लागू होगा। फीस को लेकर स्कूल के छात्रों व उनके अभिभावकों तथा अभिभावक संघ की शिकायतों के निस्तारण के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में जोनल शुल्क विनियामक समिति गठित की जाएगी जिसे सिविल व अपीलीय अदालत की शक्तियां प्राप्त होंगी।
अधिसूचित फीस से अधिक लिये गए शुल्क को छात्र को वापस करने के निर्देश के साथ समिति को स्कूल प्रबंधन को आर्थिक दंड देने का अधिकार होगा। तय फीस से अधिक वसूलने पर पहली बार एक लाख रुपये व दूसरी मर्तबा पांच लाख रुपये आर्थिक दंड वसूलने और तीसरी बार मान्यता/संबद्धता खत्म करने का प्रावधान है। प्रत्येक विद्यालय का एक कोष होगा, जिसमें छात्रों को दी गईं सुविधाओं के लिए उनसे प्राप्त धनराशि और स्कूल में आयोजित व्यावसायिक गतिविधियों से होने वाली आय शामिल होगी।
यूपी बोर्ड, सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड के स्कूल बिल के दायरे में
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