सरकार द्वारा तैयार किया गया फीस संबंधी मसौदा भले ही धरातल पर न सका हो, लेकिन मनमानी स्कूलों के शोषण का शिकार अभिभावकों का दर्द न्यायालय में पहुंचने के बाद फिर से उनमें आस जगी है। न्यायालय द्वारा तलब किए जाने से इन बेलगाम स्कूलों की मुश्किलें भी बढ़ती दिखाई दे रही। सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड के तहत संचालित स्कूलों द्वारा छात्रों से वसूली जा रही मनमानी फीस के खिलाफ हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दायर याचिका के बाद दोनों बोर्ड को अपना पक्ष कोर्ट के समक्ष रखना होगा। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से भी इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं। याची द्वारा दायर याचिका में सरकार से फीस पर लगाम लगाने के लिए एक कमेटी बनाए जाने की मांग भी की है, जिसका हेड हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को बनाया जाए। आदर्श अभिभावक समिति के भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि प्रदेश सरकार ने 10 दिसंबर को फीस संबंधी मसौदा तैयार किया था। इसके संशोधन के लिए आम लोगों की राय भी मांगी गई थी, लेकिन फीस नियंत्रण को लेकर सरकार द्वारा तैयार किए गए मसौदे को लागू नहीं किया गया। ऐसे में बेलगाम स्कूलों पर कार्रवाई हो सके इसे लेकर अभिभावकों को कोर्ट से ही आस है। वहीं डीआइओएस ने कहा कि स्कूलों पर फीस नियंत्रण की दिशा में सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं। स्कूल यदि मनमानी फीस वसूलते हैं तो नियमानुसार उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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