इलाहाबाद : यूपी बोर्ड पुराने कीर्तिमान ध्वस्त कर नए-नए रिकॉर्ड गढ़ने में जुटा है। इसी मुहिम में हाईस्कूल व इंटर 2018 का परिणाम भी शामिल हो गया है। आमतौर पर मई व जून के महीने में आने वाला रिजल्ट अप्रैल में घोषित हो रहा है। इससे भी अहम यह है कि परीक्षा शुरू होने और परिणाम घोषणा का अंतर निरंतर कम करने में बोर्ड प्रशासन सफल रहा है। इससे अगले वर्षो में यह फासला और घटना तय है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानि यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा लंबे समय से हर वर्ष करा रहा है। सामान्य रूप से इन परीक्षाओं का परिणाम मई के अंत या फिर जून के पहले से दूसरे पखवारे तक आता रहा है। यह उन दिनों की बात है, जब शैक्षिक सत्र जुलाई से शुरू होता रहा है। यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या की लिहाज से दुनिया का सबसे बोर्ड है और इंटर उत्तीर्ण करने के बाद छात्र-छात्रएं उच्च शिक्षा में प्रवेश लेते हैं।
ऐसे में शीर्ष कोर्ट को इस अहम परीक्षा परिणाम के लिए निर्देश पड़ा था कि हर हाल में सभी सेकेंडरी बोर्ड 10 जून तक परीक्षा परिणाम घोषित कर दें। अब उसी बोर्ड की रिजल्ट देने में साख बदल चुकी है। इसकी अहम वजह शैक्षिक सत्र का अप्रैल से शुरू होना रहा है। शायद इसीलिए 2015 में 19 फरवरी से परीक्षाएं शुरू कराई गईं और दोनों का एक साथ रिजल्ट 17 मई को घोषित किया गया। अगले वर्ष यानि 2016 में परीक्षा 18 फरवरी से शुरू हुई और एक साथ रिजल्ट 15 मई को आया। पिछले वर्ष 2017 में यूपी के विधानसभा चुनाव के कारण परीक्षा से लेकर परिणाम की घोषणा का शेड्यूल बिगड़ गया। परीक्षा 16 मार्च से हुई और परिणाम आठ जून को आया।
योगी सरकार ने सत्ता में आते ही बोर्ड की साख सुधारने पर पूरा ध्यान केंद्रित किया और 2018 में पहली बार परीक्षाएं छह फरवरी से शुरू कराई गई। उस समय शिक्षा महकमे के अफसर तक इस निर्णय पर दबी जुबान सवाल उठा रहे थे कि ठंड होने से परीक्षाओं पर प्रभाव पड़ेगा।
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