■ यूपी बोर्ड रिजल्ट से सरकार की मुहिम को लगा झटका
■ पिछले सत्र में सबसे कम दिन पढ़ाई के बाद भी सत्तर फीसदी रिजल्ट
इलाहाबाद : माध्यमिक कालेजों में प्रदेश सरकार ने नए सत्र से पढ़ाई कराने का जो खाका खींचा, यूपी बोर्ड के रिजल्ट से उस मुहिम को बड़ा झटका लगा है। सबसे कम दिनों तक पढ़ाई होने व परीक्षा में सख्ती बरतने के बाद भी हाईस्कूल व इंटर का परिणाम सत्तर फीसदी से ऊपर रहा है। जिन शिक्षक व प्रधानाचार्यो को रिजल्ट कम आने से कार्रवाई होने का भय सता रहा था, वह अब निश्चिंत हो गए हैं।
कालेजों में अब पढ़ाई कराना सरकार को बड़ी चुनौती है। यूपी बोर्ड के माध्यमिक कालेजों में वैसे तो शैक्षिक सत्र अप्रैल माह से शुरू हो रहा है लेकिन पिछला सत्र जुलाई से शुरू हुआ, क्योंकि विधानसभा चुनाव के कारण परीक्षाएं 16 मार्च से 21 अप्रैल तक चली। सत्र शुरू होने के कुछ माह बाद बोर्ड परीक्षा का कार्यक्रम घोषित हो गया। दिसंबर व जनवरी में प्रायोगिक परीक्षा व छह फरवरी से लिखित परीक्षा शुरू हो गई। ऐसे में करीब छह माह ही कालेजों में जैसे-तैसे पढ़ाई हो पाई।
परीक्षा में सरकार के निर्देश पर पहले मुख्यालय पर कंप्यूटर से केंद्र बने और फिर सीसीटीवी कैमरे, एसटीएफ व एलआइयू आदि की सक्रियता से नकल रोकने के तमाम इंतजाम किए गए। सख्ती के कारण ही परीक्षा छोड़ने का आकड़ा रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया। परीक्षार्थी, अभिभावक, शिक्षक व आम जन तक मानों आश्वस्त हो गए थे कि इस वर्ष का रिजल्ट भी इतिहास रचेगा। सरकार की ओर से विशेष सख्ती को भांपकर ही नया सत्र शुरू होने पर कालेजों में शिक्षकों ने पढ़ाना शुरू किया।
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