Saturday, June 30, 2018
एटा : स्कूलों में दो दिन करनी होगी तैयारी, 30 जून व 1 जुलाई को स्कूल खोलने के निर्देश
स्कूलों में दो दिन करनी होगी तैयारी, 30 जून व 1 जुलाई को स्कूल खोलने के निर्देश
गोरखपुर : बेसिक की नई किताबों पर क्यूआर कोड, वीडियो से आसान होगी बच्चों की पढ़ाई, कार्टून के रूप में बनाए गए हैं वीडियो, आसानी से समझेंगे बच्चे
शिक्षा:
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : बेसिक परिषद में इस साल आई नई किताबों पर छपे क्यू आर (क्विक रिस्पांस) कोड पाठ की समझ आसान बनाएंगे। हाल ही में क्यू आर कोड को सक्रिय कर दिया गया है। मोबाइल एप्लीकेशन की सहायता से कोड को स्कैन करते ही पाठ से संबंधित सामग्री वीडियो के रूप में मिल जाएगी। यह वीडियो काटरून के रूप में बनाए गए हैं, जो बच्चों को समझ आ जाएंगे।1एनसीइआरटी की किताबों की तर्ज पर हर पाठ के शुरुआत में क्यू आर कोड छापा गया है। इस कोड को मोबाइल एप्लीकेशन की सहायता से स्कैन कर सकते हैं। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन द्वारा विकसित दीक्षा-नेशनल टीचर्स प्लेटफार्म फॉर इंडिया एप्लीकेशन द्वारा सहूलियत से इसे क्यूआर कोड को स्कैन किया जा सकता है। इसी की वेबसाइट पर पाठ्य सामग्री उपलब्ध है। अन्य मोबाइल एप्लीकेशन भी कोड को स्कैन तो करेंगे लेकिन दीक्षा के जरिये ही संबंधित पाठ्य सामग्री मिलेगी।
कहानी के रूप में होगी वीडियो व ऑडियो : क्यू आर कोड को स्कैन करते ही पाठ से संबंधित कई वीडियो व ऑडियो मिलेंगे। ये कहानी के रूप में पूरे घटनाक्रम को बयां करेंगे। जिनमें वीडियो के पात्र नहीं नजर आएंगे, उनमें वीडियो संबंधित घटना से जुड़े चित्रों के माध्यम से बनाया गया होगा और उसकी कहानी समझाने के लिए अलग-अलग पात्रों की आवाज उसमें डाली गई है।
बच्चों के साथ शिक्षकों के लिए भी होगा कारगर : यह बच्चों के साथ शिक्षकों के लिए भी कारगर होगा। शिक्षक इसकी सहायता से पाठ को बेहतर तरीके से बच्चों को समझा सकेंगे। जिन विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था होगी, वहां के लिए यह सुविधा काफी बेहतर साबित होगी।>>मोबाइल एप्लीकेशन की सहायता से कोड कर सकते हैं स्कैन’
उत्तराखंड : जनता दरबार की कार्यवाही में शिक्षिका का वीडियो हुआ था वायरल, शिक्षिका के समर्थन में आंदोलन की तैयारी
कांग्रेस ने सरकार को शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा का निलंबन आदेश तत्काल वापस लेने की मांग की है।.
शुक्रवार को राजीव भवन में मीडिया से बातचीत में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि आज ही उन्होंने जनता दरबार की कार्यवाही के पूरे वीडियो देखे हैं। इसमें तो साफ साबित हो रहा है कि शिक्षिका ने अपनी बात को पूरी विनम्रता के साथ रखा था। मुख्यमंत्री ही संयम खो बैठे। सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार भाजपा के नेता, मंत्री और विधायकों की पत्नियों और रिश्तेदारों के नियम कानून तोड़कर दुर्गम से सुगम में तबादले किए हैं, उसी प्रकार इस विधवा शिक्षिका का भी तबादला किया जाए। प्रीतम ने चेतावनी दी कि अब यदि सरकार ने शिक्षिका का निलंबन तत्काल वापस न लिया तो शनिवार को कांग्रेस प्रदेश में मुख्यमंत्री के पुतले फूंककर प्रदर्शन करेगी। .
माध्यमिक : इस समय शिक्षा निदेशालय में 300 से अधिक शिक्षकों के स्थानांतरण की फाइल लंबित, शिक्षकों का तबादला न होने पर धरने पर बैठे
सहायत प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के तकरीबन 300 शिक्षकों के तबादले का मामला लंबित होने से नाराज माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट के सदस्य शिक्षा निदेशालय में अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक कार्यालय के बाहर शुक्रवार को बेमियादी धरने पर बैठ गये। शिक्षक नेताओं का कहना है कि जब तक जवाब नहीं मिलेगा वे नहीं उठेंगे। हालांकि रात में लिखित आश्वासन मिलने पर धरना समाप्त कर दिया।.
सरकार ने स्थानांतरण आदेश जारी करने की अवधि 30 मई से 30 जून तक सीमित कर दी है। ठकुराई गुट के प्रेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी का कहना है कि इस वर्ष 31 मई को स्थानांतरण आदेश के बाद एक महीने में एक भी ट्रांसफर नहीं हुआ। इस समय शिक्षा निदेशालय में 300 से अधिक शिक्षकों के स्थानांतरण की फाइल लंबित है। शिक्षक नेताओं ने शुक्रवार को अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक को पत्र देकर जानकारी मांगी की एक महीने से किन कारणों से एक भी स्थानांतरण आदेश जारी नहीं किए गए और लंबित स्थानांतरण की फाइलों का निस्तारण कब किया जाएगा। कोई लिखित जवाब नहीं मिला। जिससे शिक्षक नेताओं ने बेमियादी धरना शुरू कर दिया। लालमणि द्विवेदी के अलावा प्रांतीय मंत्री डॉ. अरुण कुमार चौबे, जिला मंत्री डॉ. देवी शरण त्रिपाठी आदि शामिल हैं
माध्यमिक : 600 स्कूलों को मिलेगी मान्यता, प्रस्ताव शासन को भेजा
इलाहाबाद । यूपी बोर्ड 2018-19 सत्र से ही 600 और स्कूलों को मान्यता देने जा रहा है। इलाहाबाद । यूपी बोर्ड 2018-19 सत्र से ही 600 और स्कूलों को मान्यता देने जा रहा है। इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ, बरेली व गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालयों से नवीन स्कूलों के 895 प्रस्तावों पर 18 से 20 जून तक बोर्ड मुख्यालय में हुई मान्यता समिति की बैठक में मंथन किया गया।
इनमें से 600 से अधिक स्कूल मान्यता देने के योग्य पाये गये। बोर्ड की ओर से इन स्कूलों को मान्यता देने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। दरअसल बोर्ड ने 2017 से मान्यता के लिए पहली बार ऑनलाइन आवेदन लिया था। प्रदेशभर से 10वीं के 1731 व 12वीं के 1966 (कुल 3697) आवेदन मिले थे। इनमें से गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय के 285, इलाहाबाद के 245, वाराणसी 207 जबकि बरेली कार्यालय के 122 स्कूलों (कुल 1158) को 27 अप्रैल को मान्यता दी गई थी। लेकिन ढाई हजार स्कूल वंचित रह गये थे। इस पर शासन के निर्देश पर दोबारा 18 से 20 जून तक बैठक कराई गई। माना जा रहा है कि दोबारा भेजे गये 600 स्कूलों का मान्यता आदेश जल्द ही जारी हो जाएगा। वर्तमान में 26 हजार से अधिक स्कूल यूपी बोर्ड से जुड़े हैं। .
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इनमें 2141 राजकीय, 4531 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय और अन्य वित्तविहीन स्कूल हैं।मुख्यालय में हुई मान्यता समिति की बैठक में मंथन किया गया। .
इनमें से 600 से अधिक स्कूल मान्यता देने के योग्य पाये गये। बोर्ड की ओर से इन स्कूलों को मान्यता देने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। दरअसल बोर्ड ने 2017 से मान्यता के लिए पहली बार ऑनलाइन आवेदन लिया था। प्रदेशभर से 10वीं के 1731 व 12वीं के 1966 (कुल 3697) आवेदन मिले थे। इनमें से गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय के 285, इलाहाबाद के 245, वाराणसी 207 जबकि बरेली कार्यालय के 122 स्कूलों (कुल 1158) को 27 अप्रैल को मान्यता दी गई थी। लेकिन ढाई हजार स्कूल वंचित रह गये थे। इस पर शासन के निर्देश पर दोबारा 18 से 20 जून तक बैठक कराई गई। माना जा रहा है कि दोबारा भेजे गये 600 स्कूलों का मान्यता आदेश जल्द ही जारी हो जाएगा। वर्तमान में 26 हजार से अधिक स्कूल यूपी बोर्ड से जुड़े हैं। .
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इनमें 2141 राजकीय, 4531 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय और अन्य वित्तविहीन स्कूल हैं।
भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों को शिक्षित करेगा इग्नू, एससी-एसटी के अभ्यर्थियों को निश्शुल्क शिक्षा देने की व्यवस्था
जागरण संवाददाता, लखनऊ : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) अब भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों को शिक्षित बनाएगा। इसके लिए मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों को जागरूक बनाया जाएगा। इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। शुक्रवार को बदलाव संस्था के साथ मिलकर इग्नू ने दुबग्गा में बसंतकुंज योजना के आसपास की मलिन बस्ती में शिविर का आयोजन किया और युवाओं व महिलाओं को बताया कि वह किस तरह इग्नू से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
इग्नू की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मनोरमा सिंह ने लोगों से कहा कि वह स्वावलंबी बनें। शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती। इग्नू के द्वार उनके लिए खुले हुए हैं और वह यहां पर आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। यही नहीं एससी-एसटी के अभ्यर्थियों को निश्शुल्क शिक्षा देने की व्यवस्था भी की गई है। सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कीर्ति विक्रम सिंह ने कहा कि बीपीपी कोर्स कर कोई भी व्यक्ति सीधे स्नातक कोर्स में दाखिला ले सकता है। देश को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि आप पढ़-लिखकर मजबूत हों।
स्कूल चलें हम : मिड-डे मील में देसी घी और खीर, ऐसा हो हर सरकारी स्कूल तो बन जाए बात, जब ये इतने बेहतर बन सकते हैं तो देश का हर सरकारी स्कूल क्यों नहीं
मो. तकी, चाईबासा सोच और इच्छाशक्ति हो तो प्रयास सार्थक साबित होता है। देश के ग्रामीण अंचलों के सरकारी स्कूलों की हकीकत किसी से छिपी नहीं है। लेकिन इन्हीं में से कोई निजी स्कूलों को पीछे छोड़ता हुआ दिखे तो एक उम्मीद बंधती है। झारखंड और पंजाब के ये स्कूल प्रेरक उदाहरण के रूप में सामने हैं। झारखंड के गांवों की ओर रुख करें तो यहां सरकारी स्कूलों की बदतर तस्वीर सामने आती है। ऐसे में नक्सल प्रभावित पश्चिम सिंहभूम जिले के चार कस्तूरबा आवासीय विद्यालय और एक आदर्श मध्य विद्यालय नया अध्याय लिख रहे हैं। इन्हें देख कर कोई भी चकित रह जाएगा। राज्य के निजी स्कूलों में भी ऐसी व्यवस्था नहीं है। पढ़ाई, स्वच्छता व अनुशासन के मामले में इनके सामने महंगे निजी स्कूल मात खाते नजर आते हैं। इन सरकारी स्कूलों के नाम हैं- सदर चाईबासा कस्तूरबा विद्यालय, खूंटपानी कस्तूरबा विद्यालय, चRधरपुर कस्तूरबा विद्यालय, टोंटो कस्तूरबा विद्यालय और आदर्श मध्य विद्यालय बड़ाजामदा। चार कस्तूरबा विद्यालयों में सिर्फ छात्रएं पढ़ती हैं, जबकि आर्दश मध्य विद्यालय में छात्र व छात्रएं दोनों पढ़ते हैं। इन स्कूलों को स्वच्छता के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार से मुख्यमंत्री इसी वर्ष सम्मानित भी कर चुके हैं।
इन सरकारी स्कूलों के चकाचक शौचालय, साफ-सुथरे भवन व हरे-भरे सुंदर बगीचे को देखकर कोई नहीं कह सकता कि ये सरकारी स्कूल हैं। बच्चों के लिए हर सुविधाएं इनमें मौजूद हैं। पेयजल के लिए आरओ मशीन उपलब्ध है। हाथ धोने और अन्य जरूरी कार्य के लिए अलग से दर्जनभर पानी के टैब लगाए गए हैं। साफ-सुथरे शौचालय, साबुन और हैंडवास, इतना ही नहीं शौचालय में प्रवेश के लिए अलग चप्पलें भी रखी गई हैं। भोजन कक्ष में डाइनिंग टेबल की व्यवस्था है। सभी विद्यार्थी साथ खाना खाते हैं। 1सरोकार की अन्य खबरें पढ़ें.. 666.Aं¬1ंल्ल.ङ्घे/3स्र्रङ्घ2/स्र2्र3्र5ी-ल्ली62श्रीमुक्तसर साहिब, पंजाब के गांव सरावां बोदला के प्राइमरी स्कूल में मिड-डे मील में खीर खाते बच्चे।
मिड-डे मील में देसी घी और खीर.. सरबजीत सिंह, श्री मुक्तसर साहिब : श्री मुक्तसर साहिब, पंजाब स्थितढाणी गोबिंद नगरी के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में रोज देसी घी से बना खाना और शनिवार को काजू-बादाम से बनी खीर मिलती है। शिक्षकों के बुलंद हौसले और जनसहयोग के सुमेल ने यह संभव कर दिखाया। खस्ताहाल हो चुकी स्कूल की इमारत में हालांकि अभी एक ही कमरा पढ़ाने लायक है पर इसके भी दिन फिरने की आस है।
मदरसे अब महज दीनी तालीम तक ही सीमित नहीं, छात्रों का टेक्नोक्रेट बनना अब हुआ आसान
सहूलियत
मदरसे अब महज दीनी तालीम तक ही सीमित नहीं हैं। यहां पर कुरान हदीस के प्रारंभिक पाठ के साथ सांसारिक शिक्षा भी तेजी से बढ़ रही है। दीनी मकतबों में छात्र-छात्रएं आइटीआइ व अन्य तकनीकी में दाखिला ले सकते हैं। बख्शी बाजार स्थित मदरसा वसीअतुल उलूम में वर्तमान में आइटीआइ के दो कोर्स का संचालन किया जा रहा है। इसमें ड्राफ्टसमैन मैकेनिकल एवं कंप्यूटर ऑपरेटिंग प्रिंटिंग असिस्टेंट (कोपा) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अन्य प्रोफेशनल कोर्स के अंतर्गत यहां ओ लेवल कंप्यूटर कोर्स एवं टिपल सी और पर्सनालिटी डेवलपमेंट सरीखे रोजगारपरक कोर्स शामिल हैं। 1मदरसों से तकनीकी शिक्षा अब आसान हो गई है। यहां पर अध्ययन कर सांसारिक शिक्षा प्राप्त छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकेंगे। दीनी शिक्षा के लिए प्रसिद्ध मदरसा वसीअतुल उलूम में तकनीकी कोर्स का विस्तार किया गया है। यहां पर वर्तमान में छात्र-छात्रएं आइटीआइ के पाठयक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। मदरसा में दाखिले एवं डिग्री राज्य व्यावसायिक शिक्षा बोर्ड के माध्यम से प्रदान की जाएगी। अभ्यर्थी आइटीआइ के दोनों प्रमुख पाठयक्रमों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। संस्थान के सचिव डॉक्टर अहमद मकीन का कहना है कि सरकार की अल्पसंख्यक कल्याण योजना के अंतर्गत मदरसों में तकनीकी शिक्षा से जोड़ा गया है।’>>मदरसा वसीअतुल उलूम में संचालित हैं आइटीआइ के कोर्स 1’>>मेकेनिकल और कोपा सहित प्रोफेशनल कोर्स शामिल 1राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं के अंतर्गत मदरसों में तकनीकी एवं प्रोफेशनल कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। नगर में चार अन्य मदरसों में मिनी आइटीआइ कोर्स के संचालन की योजना चल रही है। 1एसपी तिवारी, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी।
Friday, June 29, 2018
बाँदा : विभाग के पास नही है चयनित शिक्षक, अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाएंगे गैर चयनित शिक्षक
विद्यालयों के लिए नहीं मिले एक भी अध्यापक, पहले से तैनात शिक्षक ही करेंगे स्कूल का संचालनजीआइसी में शिक्षक ही नहीं तो कैसे हो बेहतर पढ़ाईकुर्सी और मेज पर पढ़ेंगे उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चे
जागरण संवाददाता, बांदा: कांनवेंट स्कूलों की तरह अब परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कुर्सी-मेज पर बैठकर पढ़ाई करेंगे। हालांकि प्रथम चरण में यह सुविधा जनपद के महज 125 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रदान की जा रही है। इसके लिए शासन ने 1 करोड़ 95 लाख की धनराशि आवंटित की है। सरकारी स्कूलों के बच्चे किसी से कम न रहे इसके लिए शासन स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। बच्चों को नि:शुल्क यूनीफार्म, जूता मोजा व पौष्टिक आहार आदि देने के लिए स्कूलों में ऐसी कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित हैं। लेकिन अभी भी स्कूलों में बच्चे फर्नीचर की व्यवस्था न होने से जमीन पर टाट-फट्टी पर बैठकर अध्यन करते हैं। जब कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चें कुर्सी-मेज पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। सरकारी स्कूलों के बच्चे किसी भी मायने में कम न हो अब सरकार ने स्कूलों में बच्चों के लिए फर्नीचर की व्यवस्था किए जाने के निर्देश जारी किए हैं। यहां तक कि शासन ने प्रथम चरण में जिले के 125 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर व्यवस्था के लिए 1 करोड़ 95 लाख की धनराशि अवमुक्त की है। सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक अर¨वद अस्थाना ने बताया कि फर्नीचर के लिए अवमुक्त की गई राशि स्कूलों को भेज दी गई है। निर्देश दिए गए हैं कि एक समिति बनाकर फर्नीचर का क्रय किया जाए। चालू शिक्षा सत्र 2018-19 से बच्चे कुर्सी और मेज पर बैठकर पढ़ाई करेंगे। बताया कि जनपद में 1396 प्राथमिक, 641 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें करीब दो लाख 20 हजार बच्चे शिक्षा अध्यन कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बांदा : शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद जनपद में पहली जुलाई से 40 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का संचालन करने जा रहा है। लेकिन 11 स्कूलों के लिए विभाग के पास शिक्षक ही नहीं हैं। इसमें पहले से नियुक्ति गैर चयनित हिन्दी मीडियम के ही शिक्षक पढ़ाएंगे।
प्रदेश सरकार ने कांनवेंट स्कूलों की तर्ज पर प्रत्येक विकास खंड स्तर पर 5 यानि जनपद में 40 प्राथमिक विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम से संचालित किए जाने के आदेश दिए थे। इनका संचालन चालू शिक्षा सत्र से किया जाना था। शासन के निर्देश पर विभाग ने मार्च में शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया शुरू की थी। अप्रैल में 40 प्रधानाध्यापक व 160 सहायक अध्यापकों के चयन के लिए परिषदीय शिक्षकों से आवेदन मांगे गए थे। इसमें प्रधानाध्यापक के लिए कुल 35 व सहायक अध्यापक के लिए 80 शिक्षकों ने आवेदन किया। लिखित परीक्षा में प्रधानाध्यापक पद पर 29 व सहायक अध्यापक पद पर 40 ही शिक्षक पास हुए। इसमें मेरिट के आधार पर प्रधानाध्यापक के लिए 29 व सहायक अध्यापक के लिए 37 शिक्षकों का चयन किया गया। इस प्रकार जनपद में अधिकतम 29 ही अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का संचालन किया जा सकता है। सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक अर¨वद अस्थाना का कहना है कि वह पहली जुलाई से जिले में शासन की मंशा के अनुसार 40 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का संचालन शुरू करेंगे। जिन स्कूलों में शिक्षकों का चयन नहीं हो सका है वहां पर पहले से ही तैनात शिक्षक बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देंगे।
जसपुरा व कमासिन के लिए नहीं मिले शिक्षक: जसपुरा व कमासिन, नरैनी ब्लाक के 15 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सिर्फ 4 स्कूलों के लिए ही शिक्षक मिले है। शेष 11 स्कूलों में पूर्व में तैनात शिक्षक ही बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देंगे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कई शिक्षक विकास खंड जसपुरा, कमासिन, नरैनी जाना ही नहीं चाहते थे। ऐसी स्थित में यह विद्यालय खाली रह गए। इधर शिक्षकों की खासी कमी भी थी। जिन स्कूलों के लिए शिक्षकों का चयन नहीं हो सका है वहां पहले से तैनात शिक्षक ही मौजूद रहेंगे।
प्राइमरी का प्रत्येक शिक्षक है योग्य व प्रशिक्षित: प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजीव प्रताप सिंह का कहना है कि यह सच है कि पर्याप्त आवेदन न मिलने से अंग्रेजी माध्यम के 11 विद्यालयों के लिए शिक्षकों का चयन नहीं हो सका है। लेकिन प्राइमरी का प्रत्येक शिक्षक योग्य व प्रशिक्षित है और वह कक्षा-1 की अंग्रेजी पढ़ाने में सक्षम है। ऐसे विद्यालयों में पूर्व में तैनात शिक्षक ही बने रहेंगे। विद्यालय का संचालन अंग्रेजी माध्यम से ही होगा।
यूपी बोर्ड : नौवीं से 12वीं तक दाखिले अब पांच अगस्त तक, दाखिले की तारीख थी 29 अप्रैल कम एडमिशन से बढ़ी तिथि, एडमिशन के दौरान देना होगा आधार व मोबाइल नंबर
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में दाखिले की तिथि पांच अगस्त तक बढ़ा दी है। परीक्षा परिणाम 29 अप्रैल को जारी होने के बाद 15 मई तक कम दाखिले होने के कारण यह निर्णय लिया गया है।1अब आगे भी कक्षा नौवीं व 11वीं में छात्रों का एक अप्रैल से पांच अगस्त हो सकेगा। वहीं, हाईस्कूल कंपार्टमेंट परीक्षा और सन्निरीक्षा (स्क्रूटनी) के बाद उत्तीर्ण होने वाले छात्रों के दाखिले कक्षा 11वीं में 20 अगस्त तक होंगे। इसे इसी सत्र 2018-19 से लागू कर दिया गया है। इसके अलावा कक्षा 10वीं व 12वीं में बाहरी छात्रों के दाखिले 10 से अधिक नहीं किए जा सकेंगे। इसकी भी अनुमति जिला विद्यालय निरीक्षक (जिविनि) से लेनी होगी। जिस कक्षा में दाखिला लेना है, उससे पहले की कक्षा का प्रमाण पत्र और छात्र का सत्यापित पहचान पत्र जरूरी होगा। हर छात्र से दाखिले के समय मोबाइल नंबर और आधार कार्ड नंबर भी लिया जाएगा, जिससे कक्षा नौवीं से 12वीं तक मिलने वाली सरकारी योजना और पंजीकरण में इसका सदुपयोग हो सके। जिविनि गिरजेश कुमार चौधरी ने बताया कि परिषद ने शैक्षिक पंचांग के अनुसार पाठ्यक्रम पूरा कराने, स्कूल में हर शुल्क की रसीद बच्चों को देने, एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाने और निर्धारित तिथि तक दाखिले पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दाखिले के लिए निर्धारित तिथि के एक सप्ताह के भीतर जातिवार व कक्षावार विवरण उपलब्ध कराना है। 1वहीं, शिक्षक व कर्मचारी बायोमेटिक हाजिरी देंगे। निर्देशानुसार सभी महत्वपूर्ण जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए।’छात्रों को