विद्यालयों के लिए नहीं मिले एक भी अध्यापक, पहले से तैनात शिक्षक ही करेंगे स्कूल का संचालनजीआइसी में शिक्षक ही नहीं तो कैसे हो बेहतर पढ़ाईकुर्सी और मेज पर पढ़ेंगे उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चे
जागरण संवाददाता, बांदा: कांनवेंट स्कूलों की तरह अब परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कुर्सी-मेज पर बैठकर पढ़ाई करेंगे। हालांकि प्रथम चरण में यह सुविधा जनपद के महज 125 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रदान की जा रही है। इसके लिए शासन ने 1 करोड़ 95 लाख की धनराशि आवंटित की है। सरकारी स्कूलों के बच्चे किसी से कम न रहे इसके लिए शासन स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। बच्चों को नि:शुल्क यूनीफार्म, जूता मोजा व पौष्टिक आहार आदि देने के लिए स्कूलों में ऐसी कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित हैं। लेकिन अभी भी स्कूलों में बच्चे फर्नीचर की व्यवस्था न होने से जमीन पर टाट-फट्टी पर बैठकर अध्यन करते हैं। जब कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चें कुर्सी-मेज पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। सरकारी स्कूलों के बच्चे किसी भी मायने में कम न हो अब सरकार ने स्कूलों में बच्चों के लिए फर्नीचर की व्यवस्था किए जाने के निर्देश जारी किए हैं। यहां तक कि शासन ने प्रथम चरण में जिले के 125 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर व्यवस्था के लिए 1 करोड़ 95 लाख की धनराशि अवमुक्त की है। सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक अर¨वद अस्थाना ने बताया कि फर्नीचर के लिए अवमुक्त की गई राशि स्कूलों को भेज दी गई है। निर्देश दिए गए हैं कि एक समिति बनाकर फर्नीचर का क्रय किया जाए। चालू शिक्षा सत्र 2018-19 से बच्चे कुर्सी और मेज पर बैठकर पढ़ाई करेंगे। बताया कि जनपद में 1396 प्राथमिक, 641 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें करीब दो लाख 20 हजार बच्चे शिक्षा अध्यन कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बांदा : शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद जनपद में पहली जुलाई से 40 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का संचालन करने जा रहा है। लेकिन 11 स्कूलों के लिए विभाग के पास शिक्षक ही नहीं हैं। इसमें पहले से नियुक्ति गैर चयनित हिन्दी मीडियम के ही शिक्षक पढ़ाएंगे।
प्रदेश सरकार ने कांनवेंट स्कूलों की तर्ज पर प्रत्येक विकास खंड स्तर पर 5 यानि जनपद में 40 प्राथमिक विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम से संचालित किए जाने के आदेश दिए थे। इनका संचालन चालू शिक्षा सत्र से किया जाना था। शासन के निर्देश पर विभाग ने मार्च में शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया शुरू की थी। अप्रैल में 40 प्रधानाध्यापक व 160 सहायक अध्यापकों के चयन के लिए परिषदीय शिक्षकों से आवेदन मांगे गए थे। इसमें प्रधानाध्यापक के लिए कुल 35 व सहायक अध्यापक के लिए 80 शिक्षकों ने आवेदन किया। लिखित परीक्षा में प्रधानाध्यापक पद पर 29 व सहायक अध्यापक पद पर 40 ही शिक्षक पास हुए। इसमें मेरिट के आधार पर प्रधानाध्यापक के लिए 29 व सहायक अध्यापक के लिए 37 शिक्षकों का चयन किया गया। इस प्रकार जनपद में अधिकतम 29 ही अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का संचालन किया जा सकता है। सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक अर¨वद अस्थाना का कहना है कि वह पहली जुलाई से जिले में शासन की मंशा के अनुसार 40 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का संचालन शुरू करेंगे। जिन स्कूलों में शिक्षकों का चयन नहीं हो सका है वहां पर पहले से ही तैनात शिक्षक बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देंगे।
जसपुरा व कमासिन के लिए नहीं मिले शिक्षक: जसपुरा व कमासिन, नरैनी ब्लाक के 15 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सिर्फ 4 स्कूलों के लिए ही शिक्षक मिले है। शेष 11 स्कूलों में पूर्व में तैनात शिक्षक ही बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देंगे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कई शिक्षक विकास खंड जसपुरा, कमासिन, नरैनी जाना ही नहीं चाहते थे। ऐसी स्थित में यह विद्यालय खाली रह गए। इधर शिक्षकों की खासी कमी भी थी। जिन स्कूलों के लिए शिक्षकों का चयन नहीं हो सका है वहां पहले से तैनात शिक्षक ही मौजूद रहेंगे।
प्राइमरी का प्रत्येक शिक्षक है योग्य व प्रशिक्षित: प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजीव प्रताप सिंह का कहना है कि यह सच है कि पर्याप्त आवेदन न मिलने से अंग्रेजी माध्यम के 11 विद्यालयों के लिए शिक्षकों का चयन नहीं हो सका है। लेकिन प्राइमरी का प्रत्येक शिक्षक योग्य व प्रशिक्षित है और वह कक्षा-1 की अंग्रेजी पढ़ाने में सक्षम है। ऐसे विद्यालयों में पूर्व में तैनात शिक्षक ही बने रहेंगे। विद्यालय का संचालन अंग्रेजी माध्यम से ही होगा।
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