शार्टकट से नियुक्ति पाने वालों पर कसेगा शिकंजा, रिक्त पदों का ब्योरा न देने वाले अशासकीय माध्यमिक कालेज घिरे
इलाहाबाद : अशासकीय माध्यमिक कालेजों में अफसर व प्रबंधकों को साधकर नौकरी पाने वाले संकट में हैं। योगी सरकार के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने सभी जिलों से अधियाचन यानि रिक्त पदों का ब्योरा मांगा है। इसमें जिला विद्यालय निरीक्षकों को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद से हलचल मची है। कई जिलों में डीआइओएस ने उन कालेजों का वेतन रोक दिया, जो रिक्त पद भेजने में आनाकानी कर रहे थे। अब भी कई जिलों में तदर्थ नियुक्त शिक्षकों के पदों का ब्योरा नहीं दिया जा रहा है।
चयन बोर्ड का पुनर्गठन होने के बाद अध्यक्ष वीरेश कुमार ने सबसे पहले नियुक्तियों के ‘खेल’ पर अंकुश लगाने की पहल की, क्योंकि अशासकीय कालेजों में प्रबंधक व प्रधानाचार्य के करीबी अफसरों की कृपा से तैनाती पाने में सफल हो जाते रहे हैं। इन शार्टकट नियुक्तियों के कारण चयन बोर्ड को सही अधियाचन नहीं मिल पाता था और जो शिक्षक चयनित करके भेजे जाते थे, उनमें से तमाम को यह कहकर बैरंग लौटा दिया जाता था कि पद रिक्त नहीं है। ऐसे करीब 700 से अधिक चयनित शिक्षक सालों से नियुक्ति पाने का इंतजार कर रहे हैं। चयन बोर्ड ने अब पूरा ध्यान अधियाचन पर दिया है और इसके लिए डीआइओएस को जिम्मेदार बनाया गया है।
पिछले महीने अध्यक्ष ने वीडियो कांफ्रेंसिंग करके इस संबंध में कड़े निर्देश भी दिए हैं। यही नहीं 2016 की प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा का कार्यक्रम देने से पहले पदों का नए सिरे से सत्यापन कराया गया है। अधियाचन का साफ्टवेयर बनने व जिला विद्यालय निरीक्षकों के जवाबदेह होने से जिलों में अब कालेजों की नियुक्तियों को खंगाला जा रहा है। कई ऐसे कालेज मिले जहां पद रिक्त हैं लेकिन, प्रधानाचार्य व प्रबंधक अधियाचन नहीं भेज रहे थे, उस पूरे विद्यालय का वेतन रोक दिया गया। जब अधियाचन भेजा तब वेतन जारी हुआ है। हालांकि कालेजों में अभी बड़ी संख्या में तदर्थ शिक्षक तैनात हैं, नियमानुसार उनके पद का भी अधियाचन भेजा जाना चाहिए लेकिन, उन पर अभी कड़ाई नहीं हुई है।
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