जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : अंतर जनपदीय शिक्षकों की काउंसिलिंग का पहला दिन हंगामे और शोर शराबे के बीच गुजरा। शिक्षकों ने बंद कमरे में पक्षपात कर विद्यालय आवंटन किए जाने का आरोप लगा हो हल्ला शुरू कर दिया। शिक्षकों ने उच्चाधिकारियों से शिकायत की तो मौके पर पहुंचे एसडीएम और कोतवाल ने मामला शांत कराया। इसके बाद काउंसिलिंग की प्रक्रिया सुचारु कराई गई।
गैरजनपद से स्थानांतरण होकर आए 323 शिक्षकों के विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया मंगलवार से बीएसए दफ्तर में शुरू होनी थी। इसी क्रम में पहले दिन प्राथमिक के दिव्यांग तथा जूनियर विद्यालय के सहायक अध्यापकों की काउंसिलिंग कराई गई। सुबह से विद्यालयों के विकल्प भरने तथा आवंटन को लेकर अव्यवस्था का माहौल हो गया। बीएसए दफ्तर के बाहर न तो ब्लाकवार विद्यालय की संख्या चस्पा थी और न ही विद्यालयों की जानकारी दी जा रही थी। वहीं कुछ शिक्षकों ने मैथा व सरवनखेड़ा ब्लाक में आवेदन के विकल्प न खोले जाने को लेकर नाराजगी जाहिर की। दोपहर 12 बजे के करीब बीएसए के कमरे का दरवाजा बंद हो गया। कुछ शिक्षकों को बिना नंबर के पहले अंदर बुला लिया गया। इसपर अन्य शिक्षकों ने काउंसिलिंग में पक्षपात का आरोप लगा हंगामा शुरू कर दिया। जिला प्रशासन को मामले की जानकारी दी गई। इस पर एसडीएम सदर परवेज अहमद, कोतवाल ऋषीकांत शुक्ला मौके पर पहुंचे। एसडीएम के पहुंचने पर भी बीएसए कक्ष का दरवाजा बंद मिला। एसडीएम ने दरवाजा खुलवाकर पारदर्शिता के साथ काउंसिलिंग कराने का अल्टीमेटम दिया और हंगामा कर रहे शिक्षकों को शांत कराया गया।
शिक्षकों ने संभाली कमान, विभागीय कर्मी रहे दूर: कानपुर देहात : अंतर जनपदीय शिक्षकों की काउंसिलिंग की जिम्मेदारी बीएसए ने प्राथमिक विद्यालय के कुछ शिक्षकों को दे रखी थी। वहीं विभाग में तैनात लिपिक प्रक्रिया से दूर थे। हद तो तब हो गई जब अन्य शिक्षकों व विभागीय काम से आने वाले लोगों को अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था। जैसे ही एसडीएम पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे तो सूची का मिलान कर बुलावा लगा रहे शिक्षक भाग निकले। एसडीएम ने जानकारी कर बीएसए से नाराजगी जाहिर की। बीएसए भी नहीं सर, ऐसा नहीं है, यह सब हमारे लिपिक हैं, कहते हुए सफाई देती रहीं। जबकि कई शिक्षक कमरे में पहले से कब्जा जमाए थे।
आप कहां से और कहां से विकलांग : शिक्षकों ने काउंसिलिंग में अव्यवस्था और पक्षपात का आरोप लगाया लेकिन कुछ महिला शिक्षकों ने दबी जुबान में बताया कि कमरे के अंदर व्यवहार भी ठीक नहीं है। एक महिला अधिकारी बार बार हम लोगों से यह पूछ रही थी कि आप कहां से और आप कहां से विकलांग हैं। जवाब न देने पर कई बार भड़कीं भी और बाद में यहां तक बोलीं अच्छा हियरिंग से हैं।
हंगामे की सूचना पर पहुंचा तो बीएसए दफ्तर के कमरे में काउंसिलिंग हो रही थी। सूची के अनुसार नामों की पुकार हो रही थी, शोर मचा रहे शिक्षकों को शांत कराया और काफी देर तक रुककर काउंसिलिंग प्रक्रिया सुचारु कराई।-परवेज अहमद, एसडीएम अकबरपुर
क्यों नहीं भराए मैथा और सरवनखेड़ा ब्लाक के विकल्प कानपुर देहात : काउंसिलिंग प्रक्रिया पर नजर डालें तो जनपद के सभी ब्लाकों में शिक्षकों की वर्तमान तैनाती की स्थिति विभाग को स्पष्ट रूप से उल्लेख करनी थी। इसमें यह बताना था कि किस विद्यालय में कितने शिक्षकों की तैनाती है, कौन से विद्यालय बंद या फिर एकल शिक्षक वाले हैं। बावजूद इसके विभाग ने मैथा और सरवनखेड़ा ब्लाक की स्थिति को उजागर नहीं किया और विकल्प भी नहीं भराए।
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