महराजगंज : प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रदेश सरकार भले ही तरह-तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते हालात बदतर बने हुए हैं। मोटी तनख्वाह पाने वाले शिक्षक जहां नियमित ड्यूटी से कतराते हैं, वहीं अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी को नहीं निभा रहे। यही वजह है कि शासन के निर्देश पर जिन बिना मान्यता संचालित स्कूलों को अप्रैल में बंद कराया गया था, वे जुलाई में फिर से खुल गए हैं। यही नहीं, इन स्कूलों में दाखिले आज भी हो रहे हैं और कक्षाएं भी खंड शिक्षा अधिकारियों की मिलीभगत से चलने लगी हैं। नौतनवा तहसील क्षेत्र में सैकडों प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के अलावा करीब सैकड़ों मान्यता विहीन विद्यालय चल रहे हैं। जूता-मोजा, बैग, किताबें और मध्याह्न भोजन देने के बाद भी अभिभावक सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने से कतराते हैं। वहीं अफसरों की लापरवाही की वजह से तहसील क्षेत्र में 200 से अधिक स्कूल बिना मान्यता व बिना शाइन बोर्ड के चल रहे हैं। इन स्कूलों की वजह से भी परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या कम ही रह जाती है। शासन के निर्देश पर अप्रैल और मई में खंड शिक्षा अधिकारियों को अवैध स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जिम्मेदारी दी गई थी। अधिकारियों ने अभियान चलाकर कई विद्यालयों को बंद भी कराया था। साथ ही बाकी विद्यालयों को बंद करने का नोटिस भी जारी किया था। दो महीने बीतने के बाद जुलाई से नया सत्र शुरू होते ही सारे अवैध विद्यालय फिर से खुल गए हैं। दुर्गापुर, खैराटी, संपतिहा, हरदीडाली, भगवानपुर, एकसड़वा, चंडी थान, अड्डा बजार, खोरिया बजार, सुंडी, समेत अन्य क्षेत्रों में बिना मान्यता के विद्यालय धड़ल्ले से चल रहे हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जगदीश शुक्ला ने कहा कि बिना मान्यता प्राप्त संचालित विद्यालयों को नोटिस देने का निर्देश दिया गया है। अगर नियम विरुद्ध संचालित हो रहे हैं, तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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