प्रदेश के मान्यता प्राप्त व अनुदानित मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाने के बाबत राज्य सरकार का फैसला सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। ईद के बाद राज्य के मदरसों में नया शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है, मगर यहां अब भी पढ़ाई पुरानी किताबों से ही हो रही है। .
ऑल इंडिया मदारिसे अरबिया टीचर्स एसोसिएशन की यूपी इकाई के महामंत्री वहीदुल्लाह खान ने यह आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का इस बाबत जारी आदेश सिर्फ सरकारी फाइलों तक ही सीमित है। बीती 21 जून से मदरसों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है, पर यह पढ़ाई परम्परागत पुरानी किताबों से ही हो रही है। .
श्री खान का कहना है कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी इस मामले में उदासीनता बरत रहे हैं। .
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार ने इस बारे में सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश किये हैं, पर इनका अनुपालन कहीं नहीं हो रहा है। अब भी यह भ्रम बना हुआ है कि ये मदरसे एनसीईआरटी के पाठयक्रम की किताबें अपने विद्यार्थियों के लिए कहां से और कैसे खरीदें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को यह निर्देश दिये गए थे कि वह मदरसों और उनमें पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की सूची एनसीईआरटी के वेंडर्स को उपलब्ध करवाएं, पर उन्होंने यह काम नहीं किया।.
टीचर्स एसोसिएशन के महामंत्री वहीदुल्लाह खान का कहना है कि अनुदानित मदरसों में अगस्त-सितम्बर से पहले किताबें बेसिक शिक्षा विभाग उपलब्ध नहीं करवाता, तब तक इन मदरसों के बच्चे क्या पढ़ेंगे?।.
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