क्या है समस्या : शासन के निर्देश पर प्रदेश में अमान्य विद्यालयों को सख्ती के साथ बंद कराया जा रहा है। ऐसे में जिला बेसिक कार्यालय द्वारा नगर क्षेत्र, खोराबार व चरगांवा ब्लाकों में करीब दो दर्जन से अधिक प्ले वे स्कूलों को भी नोटिस जारी की गई है। नोटिस के बाद कुछ स्कूलों के संचालक विभाग पहुंचे थे लेकिन जब उनसे किसी सरकारी विभाग से जारी अनुमति पत्र मांगा गया तो वे नहीं दिखा पाए। अब तक ऐसे विद्यालयों पर विभाग की नजर नहीं रहती थी। किसी भी बोर्ड में मान्यता नर्सरी से कक्षा पांच या कक्षा आठ तक दी जाती है। अलग से प्ले वे की मान्यता का अभी कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में प्ले वे स्कूल संचालकों के पास स्कूल संचालित करते रहने के लिए शासन से कोई निर्देश प्राप्त करने के अलावा और कोई चारा नजर नहीं।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर: अमान्य विद्यालयों पर सख्ती के बीच प्ले वे स्कूलों की वैधता को लेकर एक नई बहस शुरू हो चुकी है। बेसिक विभाग ने इन्हें अवैध मानते हुए करीब दो दर्जन से अधिक प्ले वे स्कूलों को नोटिस जारी की है। इन स्कूलों के पास किसी सरकारी विभाग की अनुमति नहीं है। वैधता का कोई प्रमाण न मिलने की दशा में विभाग इन्हें बंद कराने की तैयारी कर रहा है।
यहां भी लगती है मोटी फीस : प्ले वे स्कूल में बच्चों का प्रवेश कराना है तो अच्छी-खासी फीस देनी पड़ती है। अभिभावकों में यह धारणा आम है कि प्ले वे स्कूल में पढ़ने के बाद बच्चे अच्छे स्कूलों में प्रवेश पाने के योग्य बन जाते हैं। सरकार द्वारा निजी स्कूलों में फीस नियंत्रण के लिए बनाया गया कानून प्ले वे स्कूलों पर लागू नहीं होता।
नर्सरी से पहले प्ले वे में पढ़ाने का बढ़ा चलन : आमतौर पर बच्चों का प्रवेश एलकेजी या नर्सरी में कराया जाता है। इससे पहले अभिभावक बच्चों को प्ले वे स्कूलों में भेजना पसंद कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो से यह चलन काफी बढ़ गया है और शहर में कई प्ले स्कूल भी खुल चुके हैं। कई प्ले वे स्कूल देश स्तर पर ख्यातिप्राप्त ब्रांड की फ्रेंचाइजी के रूप में संचालित हो रहे हैं। कुछ निजी स्कूलों ने भी प्ले वे स्कूल खोल रखे हैं।प्ले वे स्कूलों को भी नोटिस जारी की गई है। हमारे यहां से किसी को मान्यता नहीं है। ऐसे स्कूलों से पूछा गया है कि यदि उन्हें विभाग या प्रशासन के किसी अधिकारी से अनुमति मिली हो तो प्रस्तुत करें, अन्यथा स्कूल का संचालन नहीं होने दिया जाएगा।
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