जासं, चकिया (चंदौली): प्राइमरी की मान्यता हासिल कर जूनियर और माध्यमिक तक की कक्षाएं संचालित करने वाले विद्यालय बेसिक शिक्षा परिषद के रडार पर होंगे। ऐसे विद्यालयों में मान्यता की आड़ में हो रहा फर्जीवाड़ा अब बेनकाब होगा। इन पर शिकंजा कसने के लिए एनआइसी वेबसाइट का सहारा लिया जाएगा। इसमें मान्यता प्राप्त सभी विद्यालय अपना ब्योरा अपलोड करेंगे। हालांकि राजकीय व एडेड विद्यालय इस दायरे में नहीं होंगे। वेबसाइट पर अपलोड जानकारियों का सत्यापन खंड शिक्षा अधिकारी करेंगे। परिषद ने माना है कि मान्यता विहीन एवं मान्यता प्राप्त विद्यालयों को लेकर अक्सर अभिभावकों में भ्रम की स्थिति रहती है। खासतौर पर दाखिले के समय और मुश्किल होती है। पढ़ाई और सुविधाओं के साथ बजट को ध्यान में रखते हुए अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला तो करा देते हैं, लेकिन विद्यालय की सच्चाई का जब उन्हें पता लगता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। ऐसे फर्जी विद्यालय बंद कराने में इनकी पहचान मैनुअल तरीके से नहीं हो पाती है। इन तमाम परेशानियों और फर्जीवाड़ा के खेल को रोकने के लिए विभाग ने कमर कस ली है। विभाग के मुताबिक, मान्यता प्राप्त विद्यालयों की सूची अपलोड कराने के लिए परिषद के निदेशक ने निर्देश दिए हैं। यदि विभाग निर्देश का सख्ती से पालन कराए तो मान्यता विहीन विद्यालय बंद होंगे ही, प्राइमरी की मान्यता लेकर इंटर तक की कक्षाएं चलाने वाले विद्यालयों पर भी रोक लग जाएगी। सत्यापन के बाद मान्यता विहीन व फर्जीवाड़ा करने वाले विद्यालयों को नोटिस दी जाएगी। साथ ही उन्हें सार्वजनिक किया जाएगा। यह जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारियों की होगी।
जूनियर हाईस्कूलों पर होगी नजर: फर्जीवाड़ा की शिकायतें सबसे ज्यादा जूनियर हाईस्कूलों से मिलती हैं। ऐसे में विभाग इन स्कूलों पर खास नजर रखेगा। यहां कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई कराते हुए छात्रों का नामांकन हाईस्कूल में करा लिया जाता है। इसके बाद यह क्रम इंटर तक जारी रहता है। छात्रों से नामांकन व बोर्ड परीक्षा फार्म के नाम भारी भरकम रूपये वसूल कर दूसरे विद्यालयों में उनके फार्म भरवा दिए जाते हैं जबकि पढ़ाई खुद के विद्यालय में कराई जाती है। बिना मान्यता के उच्च कक्षाएं संचालित करना गैरकानूनी है। सभी मान्यता प्राप्त विद्यालयों का ब्योरा एनआइसी वेबसाइट पर अपलोड होगा। अभी परिषद से गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। गाइडलाइन आते ही सख्ती से पालन सुनिश्चित कराया जाएगा। ब्योरा दर्ज हो जाने से अमान्य विद्यालयों को बंद कराने में आसानी होगी।
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