जागरण अलीगढ़ : ये अलीगढ़ है। यहां बिना पद, बिना शासन के पत्र के ही फोन पर मिले निर्देशों के आधार पर पदोन्नत कर प्रधान लिपिक बना दिया जाता है। स्थानीय अफसरों ही नहीं, शासन को भी गुमराह कर दिया जाता है, बस ट्यूनिंग बढ़िया होनी चाहिए।
ऐसा ही मामला बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) दफ्तर का सामने आया है। अनिल कुमार शर्मा खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय नगर क्षेत्र में वरिष्ठ लिपिक थे। पदोन्नति की सूची बनाई गई, उसमें वरिष्ठता की अनदेखी हो गई। पहले भेजी गई सूची के आधार पर उत्तरप्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद कार्यालय से सचिव की मुहर लगकर एक सितंबर 2015 को पदोन्नति का पत्र आ गया। शिकायत हुई तो दोबारा वरिष्ठता सूची मांगी गई। 18 अप्रैल 2016 को तत्कालीन बीएसए एसपी यादव ने पदोन्नति को गलत मानते हुए निरस्त किया। वे अवकाश पर गए थे तभी पदोन्नति कराई गई। फिर बीएसए संजय शुक्ल के बाद बीएसए धीरेंद्र कुमार यादव आए। प्रकरण उनके हाथ आया, नई सूची में पात्रों का नाम व क्रम भी बदल गया। उन्होंने नई सूची पर नए निर्देश मांगे, जो सचिव से लिखित में नहीं आए। इसके बाद बिछती है ‘खेल’ की बिसात। अनिल शर्मा को खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, मुख्यालय (बीएसए दफ्तर) पर प्रधान लिपिक के पद पर एक अप्रैल 2017 को पदोन्नति दे दी गई। इस पूरे प्रकरण की शिकायत व जांच की मांग मुख्यमंत्री से शिक्षक मो. अहमद ने की है।
फोन पर निर्देशों का हवाला : बीएसए धीरेंद्र ने सचिव के नए पत्र नहीं बल्कि दूरभाष पर मिले निर्देशों, आदेश संख्या 8672-74 (जिसके बाद दोबारा सूची मांगी गई) और बीईओ की आख्या के आधार पर एक सितंबर 2015 तिथि से ही प्रधान लिपिक के पद पर ज्वॉइनिंग करा दी। वहीं 2016 में निरस्तीकरण के बाद भी वेतन 2015 से प्रधान लिपिक का ही उठा रहे हैं।
ये हैं नियम: शिकायतकर्ता उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मोहम्मद अहमद बताते हैं कि किसी व्यक्ति के 15 दिन में ज्वॉइनिंग न करने पर तीन साल तक उस नाम को पदोन्नति में शामिल नहीं किया जाता। जब दोबारा वरिष्ठता सूची मांगी जाती है और वो चेंज होती है तो पहले वाली खुद-ब-खुद निरस्त हो जाती है। फिर उसका या फोन पर निर्देश का हवाला देते हुए ज्वॉइनिंग नहीं कराई जा सकती।1अपराध शाखा से जांच कराने की मांग: मोहम्मद अहमद ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रकरण की अपराध शाखा से जांच कराने की मांग भी की है। उन्होंने बीएसए धीरेंद्र कुमार पर इस प्रकरण पर तीन लाख लेने के आरोप भी लगाए हैं।
2011 को पद निरस्तीकरण के आदेश: शासन से 14 जुलाई 2011 में बीएसए कार्यालय मुख्यालय पर केवल बीईओ का एक पद रखने के आदेश आए। वो भी बीएसए के अधीन। यहां प्रधान लिपिक का पद ही नहीं है, फिर भी अनिल यहां इसी पद पर तैनात हैं।
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