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Monday, July 30, 2018

उच्च शिक्षा : शिक्षा संस्थानों की फंडिंग के लिए बनेगी ऑटोनॉमस बॉडी, ग्रांट देने वाली प्रस्तावित इकाई को NAAC की तर्ज पर बनाने की योजना

देश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों की फंडिंग के लिए बन रही एजेंसी काफी हद तक नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (नैक) के मॉडल पर आधारित होगी। नैक एक इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर के तौर ऑटोनॉमस बॉडी के रूप में रजिस्टर्ड है, जो यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) के तहत आती है। यह संस्था स्वतंत्र रूप से काम करती है। ईटी को पता चला है कि फंडिंग एजेंसी के लिए नैक-आधारित मॉडल को सबसे अच्छे विकल्प के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि यूजीसी रूल बुक के मुताबिक इसे आसानी से बनाया जा सकता है। साथ ही, इस एजेंसी को सोसायटी एक्ट के तहत रजिस्टर कराने की जगह प्रस्तावित हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) में एक ऑटोनॉमस बॉडी के तौर पर भी बनाया जा सकता है।

एचईसीआई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय यूजीसी की जगह लाने की तैयारी में है, जिसकी वजह से उसे आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। एचईसीआई की फंडिंग से जुड़ी सभी शक्तियों को खत्म कर उसे मंत्रालय को दे देने की मूल योजना की काफी आलोचना हो रही थी। बहुतों का मानना था कि इससे यूजीसी के दौर की तरह की दोबारा वही सरकारी हस्तक्षेप और लालफीताशाही देखने को मिलेगी। हालांकि मंत्रालय ने इस बारे में तुरंत ही घोषणा करते हुए स्पष्टीकरण दिया कि फंडिंग का अधिकार एक अलग एजेंसी को दिया जाएगा, जो मंत्रालय के हस्तक्षेप से बाहर रहेगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संसद को बताया है, 'ग्रांट बांटने वाली नई संस्था एचआरडी मंत्रालय नहीं, बल्कि यह शिक्षाविदों की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र संस्था होगी।'

हालांकि सरकार में उच्च स्तर पर इस बारे में चर्चा हो रही है कि कैसे सरकारी संस्थानों को अनिवार्य रूप से ग्रांट देने वाली एक एजेंसी एचआरडी मंत्रालय और एचईसीआई के हस्तक्षेप से बाहर रह सकती है। इसके अलावा एजेंसी को मिलने वाले फंड के बारे में भी सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या बजट में फंड की घोषणा होने के बाद वह रकम सीधे नई एजेंसी के पास आ जाएगी या फिर वह एचईसीआई के जरिए होकर आएगी/ अभी तक यूजीसी के लिए बजट में अलग से फंड का प्रावधान किया जाता है।

इस दौरान एचईसीआई ड्राफ्ट बिल को लेकर आई आलोचनाओं और नए सुझावों के आधार पर इस पर दोबारा काम किया जा रहा है। इसे अब, 'देश की उच्च शैक्षणिक संस्थाओं को टेक्नोलॉजी आधारित सिस्टम के जरिए एक पारदर्शी और मेरिट आधारित अप्रोच के साथ फंडिंग के बारे में विचार करने और निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र संस्था बनाने के लिए संशोधित किया गया है।' ड्राफ्ट बिल के इस नए वर्जन अगले हफ्ते कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजे जाने की उम्मीद है, जिसके बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा।

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