संस्कृत शिक्षा उन्नयन के लिए बनी समिति
उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव ने पांच सदस्यों को किया नामित
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश भर के संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर आदि सुविधा के साथ ही आज के दौर की पढ़ाई कराने का एलान मुख्यमंत्री खुद कर चुके हैं। अब संस्कृत शिक्षा उन्नयन व शिक्षकों की समस्याएं दूर करने को बड़ी पहल हुई है। इसके लिए पांच सदस्यों की संस्कृत शिक्षा उन्नयन समिति का गठन हुआ है, जो अपनी रिपोर्ट एक माह में शासन को सौंपेगी। समिति की पहली बैठक शुक्रवार को होना प्रस्तावित है।
प्रदेश सरकार धर्म विशेष से जुड़े शैक्षिक संस्थानों की बेहतरी की दिशा में समान रूप से बढ़ रही है। पहले मदरसों में भी एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाई कराने का एलान हुआ और बाद में संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर आदि की शिक्षा देने की घोषणा। उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के सचिव दीपचंद्र को इधर लगातार संस्कृत शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराया गया। वहीं, विद्यालय व शिक्षा का उन्नयन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने संस्कृत शिक्षा उन्नयन व शिक्षकों की समस्याओं का निस्तारण करने को पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। माध्यमिक शिक्षा के विशेष सचिव चंद्र विजय सिंह इसके अध्यक्ष व परिषद के सचिव खुद सदस्य सचिव हैं। अपर परियोजना निदेशक विष्णुकांत पांडेय, उप्र संस्कृत संस्थानम के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र और उप निदेशक संस्कृत को इसका सदस्य बनाया गया है।
यह समिति संस्कृत शिक्षा के उन्नयन व संस्कृत शिक्षकों की समस्याओं के निपटारे के लिए विचार विमर्श करके एक माह में संस्तुति सहित आख्या शासन को प्रस्तुत करेगी। इसीलिए संस्कृत शिक्षा उन्नयन समिति की बैठक शिक्षा निदेशक के शिविर कार्यालय पार्क रोड लखनऊ में शुक्रवार को हो रही है। ज्ञात हो कि शासन संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए पहले ही माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र से चयन कराने का आदेश जारी कर चुका है। हालांकि अब तक संस्कृत शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है, विद्यालयों में बड़ी संख्या में पद खाली हैं।
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