84 दिनों में होंगे सभी राज्य विवि के दीक्षा समारोह
प्रस्तावित तारीखें :
एक सितंबर - संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ
छह सितंबर - नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद
आठ सितंबर - महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी
11 सितंबर - छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर
15 सितंबर - डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद
18 सितंबर - उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
26 सितंबर 2018 - बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा
28 सितंबर - चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर
12 अक्टूबर - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ
दो नवंबर - संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
पांच नवंबर - वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय, जौनपुर
15 नवंबर 2018 - इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय।
राज्य ब्यूरो ’ लखनऊ : शैक्षिक सत्र 2018-19 में प्रदेश के 26 राज्य विश्वविद्यालयों के दीक्षा समारोह 84 दिनों की समयावधि में संपन्न होंगे और छात्र-छात्रओं को उपाधियां वितरित हो जाएंगी। इस साल पहला दीक्षा समारोह मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर का होगा जो 24 अगस्त को संपन्न होगा। 15 नवंबर को इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय का दीक्षा समारोह होगा। यह इस सत्र का अंतिम दीक्षा समारोह होगा। सभी दीक्षा समारोह पारंपरिक भारतीय वेशभूषा में संपन्न होंगे। कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल राम नाईक सभी विश्वविद्यालयों के दीक्षा समारोह में मौजूद रहेंगे।
राज्यपाल ने सत्र 2018-19 में संपन्न होने वाले दीक्षा समारोह का कैलेंडर घोषित कर दिया है। पिछले सत्र में सभी राज्य विश्वविद्यालयों के दीक्षा समारोह 253 दिनों की अवधि में संपन्न हो सके थे। गत वर्ष पहला दीक्षा समारोह नौ सितंबर को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ का आयोजित हुआ था। वहीं 19 मई, 2018 को अंतिम दीक्षा समारोह डॉ. शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ का संपन्न हुआ था।
दीक्षा समारोह जल्दी आयोजित होने का फायदा विद्यार्थियों को होगा जो उपाधियां हासिल कर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो सकेंगे। वहीं उच्च शिक्षा के लिए देश और विदेश के दूसरे विश्वविद्यालयों में दाखिला भी हासिल कर सकेंगे।
पूर्व में विश्वविद्यालयों में शैक्षिक कैलेंडर घोषित नहीं होते थे। न तो समय से प्रवेश होते थे और न ही परीक्षाएं आयोजित होती थीं। परीक्षा परिणाम देर से घोषित होने के कारण दीक्षा समारोह भी लेटलतीफी का शिकार होते थे। छात्र-छात्रओं को समय से उपाधियां नहीं मिल पाती थीं जिससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने में दिक्कतें आती थीं। राज्यपाल के पद पर शपथग्रहण करने के बाद से ही नाईक ने कुलाधिपति के तौर पर विश्वविद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता और सत्र नियमन पर जोर दिया।
इसी क्रम में 26 राज्य विश्वविद्यालयों के दीक्षा समारोह भी निश्चित समय सीमा में आयोजित करने के लिए प्रस्तावित कैलेंडर घोषित किया गया है। शेष दो विश्वविद्यालय, हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय, कानपुर और जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया नए हैं जिनके छात्र अभी स्नातक स्तर तक नहीं पहुंचे हैं। इसलिए इनके दीक्षा समारोह अभी संपन्न नहीं होंगे।
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