गोरखपुर : बेसिक शिक्षा विभाग हर हाल में एक-एक बच्चे को स्कूल पहुंचाने की तैयारी में है। ऐसे बच्चों के चयन में किसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका को समाप्त करने के लिए ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था बनाई गई है। इसके लिए ‘आगमन’ एप लांच किया गया है। इसमें हर ऐसे बच्चे का पंजीकरण किया जाएगा, जो स्कूल नहीं जाते। एप की खासियत यह है कि इससे पंजीकरण वाले स्थान का लोकेशन भी पता चल जाएगा।
फोटो के साथ भरना होगा पूरा विवरण :
गूगल प्ले से आगमन एप डाउनलोड कर सकते हैं। इसे खोलते ही पंजीकरण पेज पर पहुंचकर वहां दिए गए लिंक के जरिये सीधे बच्चे की फोटो प्राप्त की जा सकेगी। इसके बाद बच्चे का व्यक्तिगत विवरण भरा जाएगा। उसमें पूरा नाम, लिंग, जन्मतिथि, माता का नाम, पिता का नाम (न होने पर अभिभावक का नाम), पूरा पता, मुहल्ला, शहर, पिन कोड भरना होगा। एप अक्षांश व देशांतर की सटीक जानकारी मुहैया करा देगा। इसमें पंजीकरण के बाद जानकारी को सुरक्षित रखा जा सकेगा। अंतिम रूप से सबमिट करने से पहले विवरण की सत्यता को लेकर एक बार सुनिश्चित हो लेना होगा। इसी तरह और नए बच्चों का पंजीकरण भी हो जाएगा। इस एप में दर्ज होने वाला पूरा डाटा बेसिक शिक्षा निदेशालय को प्राप्त हो जाएगा।
इन्हें माना जाएगा आउट ऑफ स्कूल :
छह से 14 वर्ष के ऐसे बच्चे, जो स्कूल नहीं जाते या जो लगातार 45 दिनों से बिना अवकाश लिए स्कूल नहीं आ रहे हैं को आउट ऑफ स्कूल माना जाता है। शासन का निर्देश है कि रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन व झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के पास जाकर उनके बच्चों को भी स्कूल में नामांकित कराया जाए।
एक भी बच्चा छूटा, संकल्प हमारा टूटा :
गोरखपुर जनपद के शिक्षक पहले से ही रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन व मलिन बस्तियों में जाकर ऐसे बच्चों की तलाश कर रहे हैं, जो स्कूल नहीं जाते। रचनात्मक शिक्षक के रूप में पहचान बना चुके शिक्षकों की इस टोली का ध्येय वाक्य है ‘एक भी बच्चा छूटा, संकल्प हमारा टूटा’। इनका प्रयास काफी कारगर साबित हुआ और पांच दर्जन से अधिक बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने में कामयाबी मिली। जो बच्चे स्कूल जाने से छूट गए हैं, उनकी पहचान के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने एप लांच किया है। इसका प्रशिक्षण देकर उन बच्चों की तलाश की जाएगी, जो स्कूल नहीं जा रहे। उनका विवरण मिलने के बाद उन्हें स्कूल में दाखिल कराया जाएगा।
अन्य विभागों के कर्मियों को मिल सकती है जिम्मेदारी :
पंजीकरण के लिए शिक्षकों के साथ अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। विभिन्न मोहल्लों व गांवों में जाना होगा और घर-घर जाकर ऐसे बच्चों की तलाश करनी होगी, जो स्कूल जाने से वंचित रह गए हैं। इस काम में लगने वाले शिक्षक-कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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