संडे की पाठशाला में ज्ञान की कसौटी
फतेहपुर : ऐसी धारणा बन गई है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई व्यवस्था बदहाल है, लेकिन सब जगह ऐसे ही हालात हैं, यह कहना गलत होगा। कुछ जगहों पर शिक्षक के व्यक्तिगत प्रयास और बच्चों की लगन शिक्षण व्यवस्था को ऊंचाई पर ले जाकर आदर्श स्थापित कर रहे हैं। अमौली ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बाबूपुर भी इन्हीं में से एक है।
खास बात कि यह विद्यालय रविवार को भी बंद नहीं होता। संडे की विशेष पाठशाला लगती है। अन्य शिक्षक छुट्टी मनाते हैं। केवल प्रधानाध्यापक सर्वेश कुमार अवस्थी की यह पाठशाला होती है। छह दिन हुई पढ़ाई को बच्चों ने कितना समझा, यह टेस्ट के जरिए परखा जाता है। सामान्य ज्ञान का अभ्यास होता है। यह एक मिशन है कि छात्रवृत्ति, नवोदय प्रवेश परीक्षा, विद्याज्ञान परीक्षा में अधिक से अधिक बच्चे उत्तीर्ण हों।
■ कान्वेंट छोड़ बच्चे आए पढ़ने
प्राथमिक विद्यालय बाबूपुर में पढ़ाई का स्तर देख वे अभिभावक भी आकर्षित हुए जो अपने बच्चे कान्वेंट स्कूल स्कूल में पढ़ा रहे हैं। कान्वेंट छोड़ नौ बच्चों ने इस विद्यालय में दाखिला लिया है। डेढ़ साल से लगातार मेहनत के चलते पूर्व की 31 छात्र संख्या 64 पहुंच गई है। प्रधानाध्यापक सर्वेश कुमार से प्रभावित होकर रिटायर्ड शिक्षक चंद्रपाल भी प्रतिदिन सेवाएं देने आते हैं।
■ अमूल्य संपत्ति की तरह विद्यालय की देखभाल करते ग्रामीण:
सकारात्मक सोच और सार्थक प्रयास को देख ग्रामीण भी इस विद्यालय की देखभाल अमूल्य संपत्ति की तरह करते हैं। सुबह साफ सफाई में हर किसी का सहयोग रहता है। प्रधानाध्यापक बताते हैं कि जहां अन्य गांवों में विद्यालय भवन की बेकद्री है, वहीं इस गांव में भरपूर सहयोग मिल रहा है। दीवारों में साल भर पूर्व लिखाई गई इबारत से लेकर विद्यालय के सभी सामान की गांव वाले देखभाल करते हैं।
■ ठेकदार ने दी सड़क की सौगात :
विद्यालय में बेहतर पढ़ाई के प्रयासों से निर्माण कार्य करा रहा ठेकेदार भी इतना प्रभावित हुआ कि अपने खर्चे से विद्यालय को 20 मीटर की सड़क सौगात रूप में दे दी। प्रधान शिवशरण का योगदान भी सराहनीय रहा है। उन्होंने बाउंड्रीवाल की सौगात दी है।
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