परिषद में ‘अपनों’ की जगह अफसरों पर भरोसा
जागरण विशेष
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश के लाखों छात्र-छात्रओं को हर साल फेल-पास करने वाले माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड का गठन नहीं हो पा रहा है। सरकार को ‘अपनों’ की जगह अफसरों पर भरोसा है, शायद इसीलिए एक वर्ष से निरंतर अनदेखी हो रही है। विभिन्न क्षेत्रों के 14 सदस्यों के मनोनयन का अब भी इंतजार हो रहा है, सारे कार्य पदेन सदस्यों के भरोसे संचालित हो रहे हैं।
यूपी बोर्ड सिर्फ हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं ही नहीं कराता है, बल्कि कई नीति निर्धारण भी यहां के जरिए होते रहे हैं। कभी परिषद मिनी विधानसभा के रूप में संचालित रहा करता था लेकिन, उसके गठन की अनदेखी से अब बोर्ड प्रस्ताव बनाकर भेजने भर की जिम्मेदारी निभा रहा है। सभी मामलों में सभापति और शासन ही अंतिम निर्णय ले रहा है। इसमें माध्यमिक कालेजों की मान्यता, स्नातक शिक्षक व प्रवक्ता चयन की अर्हता या फिर परीक्षाओं में नियमों में बदलाव करने और गड़बड़ करने वालों पर कार्रवाई जैसे निर्णय का भी प्रस्ताव भेजा जाता है। परिषद में 25 सदस्य होते हैं, उनमें 14 का मनोनयन और 11 पदेन सदस्य यानी शिक्षा विभाग के अधिकारी हैं। पिछली सरकार के पदेन सदस्यों का तीन वर्ष का कार्यकाल 29 अगस्त 2017 को पूरा हो चुका है। बोर्ड ने उसके पहले से लेकर अब तक कई बार अनुस्मारक भेजे लेकिन, उस पर निर्णय नहीं हो सका है।
इन क्षेत्रों के होंगे 14 सदस्य : 14 सदस्यों में मेडिकल, तकनीकी, कृषि, माध्यमिक कालेजों के प्रधानाचार्य, शिक्षक, जिला विद्यालय निरीक्षक, संयुक्त शिक्षा निदेशक व अधिवक्ता का मनोनयन किया जाता है। आम तौर पर प्रदेश में जिसकी सरकार होती है, उसी के करीबियों को मनोनयन होता रहा है।
ये 11 पदेन सदस्य : इलाहाबाद शिक्षा विभाग का हब हैं यहां पर प्राथमिक से लेकर स्नातक स्तर के तमाम शिक्षा अधिकारी तैनात हैं। इनमें से चुनिंदा अफसरों को पदेन सदस्य के रूप में रखा गया है। बीते मार्च माह में माध्यमिक कालेजों को मान्यता दिए जाने के समय बोर्ड की ओर से अनुरोध किया गया कि मान्यता समिति नहीं है।
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