मदरसों में फजीहत बना एनसीईआरटी पाठ्यक्रम
अजहर अंसारी, इलाहाबाद : प्रदेश शासन ने मदरसों में एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के पाठ्यक्रम लागू तो कर दिए, लेकिन जिले में उर्दू माध्यम में इसकी किताबें उपलब्ध न होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत हो चुकी है लेकिन अभी तक पाठ्यक्रम तक तय नहीं हो पाया है। टीचर क्या और कैसे पढ़ाएं उनके पास इसकी कोई जानकारी, प्रशिक्षण अथवा दिशा निर्देश नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने दीनीयात से इतर पढ़ाई के लिए एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया है। जनपद के मदरसों की बात करें तो इस पाठ्यक्रम को पढ़ाने में शिक्षक रुचि नहीं दिखा रहे हैं। उर्दू में किताबें उपलब्ध नहीं हैं। हंिदूी और उर्दू माध्यम में एनसीईआरटी की किताबें खरीदने में अभिभावकों को जेब ढीली करनी पड़ेगी। जिले में 360 मान्यता प्राप्त (वित्तीय एवं वित्त विहीन) मदरसे हैं।
मदरसा अनवारुल उलूम सहित अधिकतर मदरसों में पुराने पाठ्यक्रम से ही पढ़ाई कराई जा रही है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एससी तिवारी का कहना है कि एनसीईआरटी के पाठ्यक्रमों को पढ़ाने का आदेश सभी मदरसों को दिया गया है। तहतानिया, फौकानिया, मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल कक्षाओं में नए पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई करानी होगी। उर्दू माध्यम में एनसीईआरटी की किताबें नहीं उपलब्ध होने की स्थिति में अंग्रेजी या हंिदूी माध्यम की किताबों से उर्दू में अनुवाद कर पढ़ाई कराई जानी चाहिए। ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के राज्य प्रवक्ता हारुन साकिब का कहना है कि पहले के पाठ्यक्रम की किताबें मुफ्त मिलती थीं, लेकिन अब नए पाठ्यक्रम से पढ़ाई के आदेश से परेशानी बढ़ गई है।
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