परिषदीय स्कूलों में कला वर्ग के शिक्षक पढ़ा रहे विज्ञान व गणित
कुछ ब्लाकों में शिक्षकों की संख्या मानक से अधिक तो कुछ में एकल
अजब-गजब
आरटीई के तहत प्राइमरी में 30 व जूनियर में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक, समायोजन में भेदभाव होने से है विसंगति
जागरण संवाददाता, वाराणसी : जनपद के काशी विद्यापीठ, हरहुआ, चिरईगांव सहित कुछ ब्लाकों के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या मानक से अधिक है। वहीं तमाम विद्यालय अब भी एक व शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। एक ही अध्यापक बच्चों को सभी विषय पढ़ा रहे हैं। कला वर्ग के शिक्षक जूनियर हाईस्कूल स्तर के विज्ञान व गणित की भी कक्षाएं भी ले रहे हैं। जबकि बीएससी, एमएससी करने वाले कुछ शिक्षक बच्चों को इतिहास, भूगोल भी पढ़ा रहे हैं। शिक्षकों के समायोजन में भेदभाव होने के कारण परिषदीय विद्यालयों में यह विसंगति बनी हुई है। इससे पठन-पाठन की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) अधिनियम के तहत प्राथमिक विद्यालयों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक है। वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 35 बच्चों पर एक शिक्षक अनिवार्य है। छात्रसंख्या के मानक के अनुसार जनपद में शिक्षकों की संख्या अधिक है। वहीं नगर के तमाम विद्यालयों में आरटीई के मानक के अनुसार शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। उच्च प्राथमिक विद्यालय पीलीकोठी में मात्र एक अध्यापक हैं। वहीं जैतपुरा जूनियर हाईस्कूल में तीन अध्यापक हैं। तीनों अध्यापक कला वर्ग के हैं जो बच्चों को विज्ञान-गणित सहित अन्य सभी विषय पढ़ा रहे हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय, स्टेट फील्ड रोड में दो अध्यापक हैं। नगर के अन्य विद्यालयों की स्थिति भी कमोवेश इसी प्रकार है।
शिक्षकों का कहना है कि मानक छात्र अनुपात के अनुसार पर नहीं, कक्षा के अनुसार होना चाहिए। प्राथमिक विद्यालयों में हेड मास्टर को लेकर कम से कम छह शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में न्यूनतम आठ शिक्षक। ताकि सभी सभी क्लास अलग-अलग कमरों में संचालित किए जा सके
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