लखनऊ : अखिलेश सरकार के दौरान दो साल पहले प्रदेश में हुईं सहायक अध्यापकों की भर्ती में अब फर्जी स्वास्थ्य प्रमाणपत्रों का खेल सामने आया है। आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ है कि केवल सिद्धार्थनगर जिले में नियमों को दरकिनार कर एक हजार से ज्यादा फर्जी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र अभ्यर्थियों द्वारा लगाए गए. जबकि सीएमओ कार्यालय से उस समयावधि में महज 32 प्रमाणपत्र ही जारी किए गए। फर्जी बने एक हजार से ज्यादा प्रमाणपत्रों की कॉपी के साथ इस धांधली की शिकायत देवरिया के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रमुख सचिव और महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से करते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की।
सीएचसी और पीएचसी से बने प्रमाणपत्र : सिद्धार्थनगर निवासी देवेश मणि त्रिपाठी ने सिद्धार्थनगर सीएमओ कार्यालय में आरटीआई अर्जी लगाकर जानकारी मांगी कि एक नवंबर 2015 से 30 नवंबर 2015 तक वहां से कितने स्वास्थ्य प्रमाणपत्र जारी किए गए। स्थानीय स्तर से सूचना न मिलने पर आवेदक ने राज्य सूचना आयोग का सहारा लिया। आयोग के हस्तक्षेप के बाद सीएमओ सिद्धार्थनगर ने सूचना दी कि उक्त अवधि में उनके द्वारा महज 32 प्रमाणपत्र जारी किए गए। इन 32 प्रमाणपत्रों पर भी सील तो सीएमओ की है, लेकिन हस्ताक्षर दूसरे डाक्टरों के हैं। इसके साथ ही आरटीआई के जरिए उन्होंने बीएसए कार्यालय से नवंबर 2015 में सहायक अध्यापक के पद पर जॉइन करने वालों द्वारा लगाए गए स्वास्थ्य प्रमाणपत्रों की एक हजार से ज्यादा छाया प्रतियां जुटाईं। इनमें अधिकतर प्रमाणपत्र सीएससी और पीएचसी पर तैनात डॉक्टरों की ओर से जारी हैं।
ये हैं नियम
शासनादेश के मुताबिक चिकित्सा, फिटनेस, अवकाश के मामले के द्वितीय परामर्श और स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के लिए जिला अस्पतालों के सीएमएस व एमएस ही अधिकृत हैं। वहीं, सीएमओ भी प्रमाणपत्र जारी करते हैं। इसके अलावा सीएमओ द्वारा तय समय के लिए चिकित्सा दल भी गठित किया जाता है और उक्त अवधि में जारी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र मान्य होते हैं। हालांकि, सिद्धार्थनगर सीएमओ ने कहा है कि उक्त अवधि में कोई दल गठित नहीं हुआ।
फर्जी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र से हथियाई नौकरी!
सिद्धार्थनगर में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति में सामने आया एक और फर्जीवाड़ा, हजार से ज्यादा प्रमाणपत्र हुए जारी
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