बदहाल परिषदीय स्कूलों का नहीं है पुरसाहाल
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : जिले के परिषदीय विद्यालयों की छतों से बरसात का पानी टपकने से बच्चे और तैनात स्टाफ परेशानी का सामना कर रहा है। बरसात में बच्चे न भीगे और दुर्घटना से बचे रहें इसके लिए बरामदों में कक्षाएं संचालित की जा रही हैं या फिर एक कक्षा में दो-दो क्लासेज संचालित की जा रही हैं। एक कक्ष में दो कक्षाओं के संचालन से पठन पाठन में खराब असर पड़ रहा है। धन की उपलब्धता न होने से इन विद्यालयों का मरम्मत कार्य भी नहीं हो पा रहा है।
जिले में 2650 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं। बदहाली के दौर से गुजरने वाले कई विद्यालय तो एक दशक पुराने हैं जो गुणवत्ता के अभाव में कम समय में जर्जर हो गए हैं। तमाम विद्यालय पुराने हो गए हैं जिसके चलते पानी टपक रहा है। ऐसे विद्यालयों की संख्या 300 है जिसके चलते विद्यालय में तैनात स्टाफ एवं पंजीकृत बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। परेशानी की बात यह है कि इन विद्यालयों का पुरसाहाल तब तक नहीं हो सकता है जब तक हर विद्यालय को बढ़ी रकम न मिल जाए। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह ने कहाकि परिषदीय विद्यालयों से पानी टपकने की शिकायत मिली है। ऐसे विद्यालयों की मरम्मत के लिए कार्ययोजना बनाई गई है लेकिन अभी धन की उपलब्धता नहीं है। ऐसी दशा में सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देशित किया गया है कि वह बच्चों को सुरक्षित स्थानों में बैठाकर पठन पाठन कराएं।
जर्जर इमारतों के नीचे बैठने से मनाही : बेसिक शिक्षा विभाग ने त्वरित कदम उठाते हुए बच्चों को जर्जर इमारतों एवं टपकने वाली छतों के नीचे पठन पाठन से रोक दिया गया है। बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों के माध्यम से निर्देशित किया है कि तत्काल प्रभाव से इसे अमल में लाया जाए। प्रधानाध्यापकों ने इस आदेश का अनुपालन करते हुए खुले स्थान में पेड़ों के नीचे या फिर बरामदे में पठन पाठन शुरू करवाया है।
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