फतेहपुर : बच्चों को ‘खींच’ रही ज्ञान की ‘रोशनी’, शिक्षकों के प्रयास से बदली अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय मलूकपुर की तस्वीर।
फतेहपुर : ये स्कूल भी चार माह पहले अन्य परिषदीय विद्यालयों जैसा था। न तो बच्चों की संख्या पर्याप्त थी और न ही पढ़ाई का माहौल था। इसी बीच स्कूल को अंग्रेजी माध्यम का बनाया गया तो शिक्षकों की नियुक्ति की गई। बस, देखते ही देखते इस स्कूल की तस्वीर बदल गई। हम बात कर रहे हैं ऐरायां विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय मलूकपुर की, जहां प्रधानाध्यापक अंबिका प्रसाद और सहायक अध्यापक आनंद मिश्र ने ज्ञान की ऐसी ज्योति जलाई कि बच्चे 4-5 किमी की दूरी पैदल नापकर यहां पढ़ने के लिए पहुंचते हैं।
शिक्षकों के समर्पण से अभिभावक भी प्रभावित हैं। यही वजह है कि 67 बच्चों से शुरू हुआ विद्यालय का सफर मौजूदा समय में 106 तक पहुंच चुका है। इस स्कूल में रहीमपुर धरमंगदपुर, खजुरिहापुर, देवराजपुर, मलकनपुर तथा ऐरायां सादात गावों के बच्चे रोजाना कांवेंट स्कूल की तरह टाई, बेल्ट, आइकार्ड व जूते मोजे पहनकर पढ़ने आते हैं। किताबों का अभाव भी यहां के बच्चों की पढ़ाई में रोड़ा नहीं बन पाई। शिक्षकों द्वारा कराए जाने वाले नियमित अभ्यास और सरलता से समझाने के कारण ही बच्चे अंग्रेजी भाषा में बेसिक चीजों को आत्मसात करने लगे हैं।
दोनों शिक्षक निजी प्रयास से ब्लैक बोर्ड, लर्निग कार्नर के साथ टीएलएम बनाकर बच्चों को अंग्रेजी भाषा में पारंगत कर रहे हैं। यही नहीं स्कूल सफाई में भी नजीर बना हुआ है। स्कूल की दीवारों में पेंट से जागरूकता संदेश व चित्रों के जरिये बच्चों को सामाजिक सरोकारों के प्रति भी उनका कर्तव्य सिखाया जाता है।
■ मिल चुका है प्रशस्ति पत्र : मलूकपुर विद्यालय के शिक्षक आनंद मिश्र को उनके निजी प्रयासों के लिए पूर्व एसडीएम, बीईओ तथा मौजूदा ग्राम प्रधान मैनाज बेगम ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। बीईओ वीरेंद्र पांडेय ने बताया कि दूसरे विद्यालय के शिक्षकों को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
■ पूर्व तैनाती वाले स्कूलों से आए बच्चे : प्रधानाध्यापक अंबिका प्रसाद पूर्व सत्र तक रहीमपुर धरमंगदपुर गांव के परिषदीय स्कूल में पढ़ाते थे, जबकि आनंद मिश्र बहेरा सादात में तैनात थे। दोनों शिक्षकों का शिक्षा के प्रति लगाव देखकर विभाग ने मलूकपुर अंग्रेजी स्कूल में तबादला किया। उनके पीछे इन गांवों के बच्चे भी दूर होने के बावजूद यहां पढ़ने आने लगे।
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