■ परिषदीय स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के निरीक्षण के मानक तय
■ बच्चों में साफ-सफाई, स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति पर रहेगी नजर
■ बच्चों के आचरण से भी परखा जाएगा स्कूल का शैक्षिक स्तर
★ ये हैं निरीक्षण के मानक
• बच्चों का आचरण देखा जाए।
• पीने का साफ पानी है या नहीं?
• शौचालयों की व्यवस्था।
• स्कूल की बाउंड्री है या नहीं?
• बच्चों के बैठने के लिए की व्यवस्था।
• यूनिफॉर्म, मोजे और जूते मिले हैं या नहीं?
• रोजाना योग करवाया जाता है या नहीं?
• बच्चों के कपड़े साफ-सुथरे हों और उनके नाखून कटे हों।
• स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति
• बिजली आपूर्ति, लाइट की व्यवस्था।
• कोर्स से जुड़े प्रश्न भी पूछे जाएंगे।
लखनऊ : अब परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के आचरण से भी स्कूल का शैक्षिक स्तर जांचा जाएगा। इस दौरान शौचालयों की व्यवस्था, स्कूल की बाउन्ड्री, बिजली आपूर्ति, बच्चों के बैठने के लिए कुर्सी-मेज की व्यवस्था, प्रतिदिन योग, कैम्पस में जलभराव के अलावा अन्य व्यवस्थाओं पर भी अफसरों की नजर रहेगी। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए शनिवार को डीएम कौशल राज शर्मा ने निरीक्षण के मानक तय किए।
राजधानी में 2031 परिषदीय, सहायता प्राप्त एडेड स्कूल और मदरसे में 2,09,886 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें परिषदीय प्राइमरी जूनियर स्कूलों में एक लाख 75 हजार छात्र अध्ययनरत हैं। मुख्य विकास अधिकारी मनीष बंसल ने बताया कि अब इन स्कूलों में निरीक्षण के दौरान बच्चों का आचरण भी देखा और परखा जाएगा।
ऐप के जरिए तुरंत भेजनी होगी निरीक्षण रिपोर्ट : सभी स्कूलों में निरीक्षण करने गई टीम को फोटो और रिपोर्ट मौके पर ही ऐप के जरिए पोस्ट करनी होगी। इससे पहले स्कूलों का निरीक्षण करने के दो तीन बाद टीम डीएम को रिपोर्ट देती थी, लेकिन अब ऐप के जरिए तुरंत रिपोर्ट देना होगा।
अब निरीक्षण के समय स्कूल में अनुपस्थित सभी शिक्षकों का ब्योरा प्रिंसिपल को देना होगा। इसके अलावा अनुपस्थित शिक्षकों पर की गई कार्यवाही का भी ब्योरा देना होगा। निरीक्षण में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों की उपस्थिति की सूचना भी रिपोर्ट में बतानी होगी।
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