संस्कारों के साथ नन्हे पा रहे हाईटेक शिक्षा
अच्छी पहल
परिवेश बदलने के बाद ही बढ़ गई शिक्षार्थियों की संख्या, अतिथि सम्मान की परंपरा देखकर लोग होते अभिभूत
विद्यालय की प्रमुख गतिविधियां : ’नवाचार के माध्यम से शून्य निवेश पर सभी विषयों पर प्रतिनिधि व्याख्यान।
टीएलएम मेले के माध्यम से शिक्षा को उन्नत मार्ग पर ले जाने का प्रयास।
लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रार्थना और प्रतिदिन पीटी आदि कराए जाते हैं।
मीना मंच के माध्यम से छात्रओं के साहस को मजबूत किया जाना।
रविवार को योगा के माध्यम से छात्रओं एवं उनकी माताओं को स्वस्थ रखने की पहल।
आर्ट एवं क्राफ्ट के माध्यम से निष्प्रयोज्य वस्तुओं से सामान बनाना।
सिलाई-कढ़ाई के माध्यम से छात्र एवं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना।
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : आंखों को भाने वाली कलाकृति और कीमती पौधों से लहलहाती शिक्षा की बगिया प्राथमिक विद्यालय पहरवापुर जिले में नहीं प्रदेश में शुमार की जाती है। शिक्षान्मुखी कार्यक्रमों की बदौलत शिक्षक दिवस के पावन पर्व पर 5 सितंबर 2016 को विद्यालय की मुखिया नीलम भदौरिया (प्रधानाध्यापिका) को तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने विशेष पुरस्कार से नवाजा है। प्रशस्ति पत्र को संजोया तो एक लाख बीस हजार के व्यक्तिगत इनाम को विद्यालयीय सुविधाओं में खपा दिया। प्रोजक्टर, लैपटॉप, इंवर्टर, टीएलएम, मीना मंच के सामान से विद्यालय को भर दिया। प्रधानाध्यापिका की जिजीविषा बच्चों की दैनिक शैक्षिक गतिविधियों में दिखाई दे रही है। अभिभावकों के लगातार बढ़ रहे लगाव के चलते छात्र संख्या 221 तक जा पहुंची है और दिनों दिन इजाफा हो रहा है।
मलवां ब्लाक के इस प्राथमिक विद्यालय ने शिक्षा के साथ अन्य क्रियाकलाप सिर चढ़कर नाम कमा रहे हैं। विद्यालयों में जहां ब्लैक बोर्ड एवं चॉक से पठन पाठन होता है वहीं इस विद्यालय में पठन पाठन को प्रोजक्टर के माध्यम से रोचक बनाया जाता है। जिससे विषय वस्तु बच्चों के लिए सुग्राही साबित हो रहा है। कैंपस की दिनचर्या में जहां प्रधानाध्यापिका वहीं उनका सहयोगी स्टाफ जी-जान लगाकर मेहनत करता है। भोजन करने से पहले हाथ धोना, भोजन मंत्र आदि का कलरव सुनाई देता है। प्रतिमाह पठन पाठन का कैलेंडर खुद तैयार किया जाता है। ऐतिहासिक पवरें में राष्ट्रभावना से प्रेरित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की छटा देखते ही बनती है। कैंपस में किसी अतिथि के सम्मान में बच्चों के द्वारा दिया जाने वाला सम्मान यादगार बन जाता है। आश्रम पद्धति और छात्रवृत्ति जैसी परीक्षाओं में सफल प्रतिभागी बनकर बच्चे विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। यही वजह है कि अब तक जिला एवं मंडल स्तर के तमाम पुरस्कार इन प्रधानाध्यापिका की झोली में हैं।
पिता को दी गई शपथ ने दिलाई मंजिल : प्रधानाध्यापिका नीलम भदौरिया बताती हैं कि मायके में कक्षा 8 के बाद गांव की बच्चियां शिक्षा बंद कर देती थी। उनके मन में पढ़ने की ललक थी। एक दिन सुबह पिता लालमन सिंह चंदेल को चाय का प्याला थमाते हुए बात रखी। वह मान गए लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि तुम जब काबिल इंसान बन जाओगी तो बालिका शिक्षा एवं महिला उत्थान के लिए काम मिसाल कायम करोगी इसकी शपथ दो। आज भी वह दृश्य और शब्द कान में गूंजते हैं। पिता की अनुमति के बाद गांव से 12 किमी दूर ¨बदकी तहसील मुख्यालय पढ़ने जाने का मौका मिला।
प्राथमिक विद्यालय पहरवापुर में बच्चों द्वारा आर्ट एंड क्राफ्ट से तैयार की गयी सामग्री के साथ प्रधानाध्यापिका नीलम भदौरिया ’
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