शिक्षा के प्रसार में संजीवनी फूंक रहे गुरुजी
हर घार शिक्षा का फैले उजियारा, यही है लक्ष्य हमारा की मळ्हिम
मिशन
संवाद सहयोगी, चौडगरा : शिक्षा सबका अधिकार, शिक्षित बने समाज। कुछ इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए सेवानिवृत्त शिक्षक गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने के साथ परिवेश देने का काम कर रहे हैं। स्कूल से लेकर गांव के घर तक में उनकी पाठशाला सजती है।
घर-घर शिक्षा का उजियारा फैले और हर नौनिहाल पढ़ लिखकर काबिल बने इसके लिए सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य का यह दिनों दिन परवान चढ़ता जा रहा है।
कंशपुर गांव के रहने वाले स्वयंवर सिंह वर्ष 2010 में सवरेदय इंटर कालेज गोपालगंज से प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त होने के बाद 8 वर्षो से निरंतर शिक्षा के प्रचार-प्रसार में अपना समय लगा रहे हैं। दायित्वों हटे तो घर में पड़ोस के बच्चों को बुलाकर सुबह-शाम पढ़ाना शुरू कर दिया। निश्शुल्क पढ़ाई का अविभावकों को पता चला तो कुछ दिन बाद बच्चों को खुद ही पढ़ने के लिए भेजने लगे। बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ नैतिक शिक्षा का ज्ञान देकर संस्कारवान बना रहे हैं। शोभन सरकार ने दूधी कगार आश्रम में गुरुकुल खोला, जहां पर बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दी जाने लगी। सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य के शिक्षा के प्रति गहरी अभिरुचि देख संत शोभन सरकार ने गुरुकुल की व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी सौंपी। तब से गुरुकुल में शिक्षा देने के साथ प्रधानाचार्य के पद पर निश्शुल्क सेवा निरंतर दे रहे हैं। गांव के गरीब परिवार के बच्चों को अपनी पेंशन के पैसे पाठ्य पुस्तकें व ड्रेस भी दिलाते हैं।
शिक्षा से बड़ा कोई दूसरा दान नहीं : सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य स्वयंवर सिंह कहते हैं शिक्षा से बड़ा कोई दूसरा दान नहीं है। जो भी बच्चों के साथ संस्कार की बहुत जरूरत होती है। बच्चों को शिक्षा देने में आत्म सुख की अनुभूति होती है। एक शिक्षक के लिए सेवानिवृत्त होने के बाद सबसे अच्छा काम है। समाज शिक्षित और संस्कारवान होगा तभी देश तरक्की करेगा। यह तो देश सेवा है।घर में बच्चों को पढ़ाते स्वयंबर सिंह
>>सेवानिवृत्त होने के बाद 8 वर्षो से दे रहे निश्शुल्क शिक्षा
>>गरीब परिवार के बच्चों को उपलब्ध कर रहे ड्रेस व पुस्तकें
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