जिलों के अफसर दबाए बैठे हैं छात्रवृत्ति के आवेदन
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : जिलों में बैठे अफसर योगी सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। सरकार चुनावी वर्ष में ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति देना चाहती है, लेकिन जिले के अफसर छात्रवृत्ति के आवेदन पत्र ही दबाए बैठे हैं। स्थिति यह है कि अब तक केवल 7.6 फीसद आवेदन पत्र ही सत्यापित करने के बाद अग्रसारित किए गए हैं।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में छात्र-छात्रओं के लिए प्री मैटिक, पोस्ट मैटिक व मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति योजनाएं संचालित होती हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इन सभी छात्रवृत्ति योजनाओं का लक्ष्य सरकार ने बढ़ा दिया है। वर्ष 2018-19 में प्रदेश सरकार 12 लाख से अधिक अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति देना चाहती है। सरकार इस कोशिश में लगी है कि जितने अधिक से अधिक छात्र-छात्रओं को छात्रवृत्ति का लाभ मिल जाए उतना अच्छा है। इसके लिए आवेदन की तिथि भी 30 अक्टूबर तक बढ़ाई जा चुकी है।
सरकार के कड़े निर्देशों के बावजूद जिले के अफसर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। स्थिति यह है कि अब तक 12 लाख छात्रवृत्ति के लक्ष्य के सापेक्ष करीब 10.89 लाख आवेदन पत्र भरे गए हैं। लेकिन, आवेदन पत्रों की जांच का काम बहुत धीमा चल रहा है। अफसर आवेदन पत्रों को अपने यहां दबाये बैठे हैं। साथ ही कई जिलों में तो संस्थान ही अपने यहां से आवेदन पत्र नहीं भेज रहे हैं। इस पर सरकार ने नाराजगी जताई है।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक राघवेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं कि जिलों के अफसरों को छात्रवृत्ति के आवेदन जल्द से जल्द सत्यापित कर अग्रसारित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसकी अंतिम तिथि 15 नवंबर है। इसके बाद कोई भी फार्म स्वीकार नहीं होंगे। जिस जिले में अग्रसारण में गड़बड़ी मिलेगी वहां के अफसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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