संवाददाता, बांदा : सरकार की उपेक्षा का पहले से दंश ङोल रहे शिक्षामित्रों को जनपद में पिछले सात माह से मानदेय भी नहीं दिया गया। ऐसे में अनेक परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। जबकि सरकार लगातार इन पर ही काम का बोझ बढ़ाती जा रही है। इससे नाराज शिक्षामित्रों ने जिलाधिकारी को एक पत्र भेजकर मानदेय दिलाए जाने की मांग की। साथ ही आरोप लगाया कि वित्त एवं लेखाधिकारी (कोषाधिकारी) की संवेदनहीनता से वह बीते माह भेजी गई ग्रांट से भी वंचित हो गए हैं।
दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मूलचंद्र सोनी, शिक्षामित्र संघ के श्यामकली, लक्ष्मीनारायन, ऊषा गुप्ता, शैला सिंह, ओमप्रकाश आदि ने कहा कि शिक्षामित्रों को मार्च माह से मानदेय भुगतान नहीं किया गया। वहीं एरियर की धनराशि का भुगतान भी बीएसए ने दीपावली के पूर्व कराने का वादा किया था वह भी हवा-हवाई साबित हुआ। 11 अक्टूबर को मानदेय व एरियर की ग्रांट भेजी गई। परंतु विभागीय लापरवाही से देर में बिल बने वहीं वित्त एवं लेखाधिकारी तथा कोषाधिकारी की उपेक्षा से यह धनराशि भी उनके खातों में दीपावली के पूर्व नहीं भेजी गई। शिक्षामित्रों ने आरोप लगाया कि शिक्षक कर्मचारियों के दबाव में आकर उनकी आंशिक राशि को भी अधिकारियों ने कनवर्ट कर दिया है। अब कहा जा रहा है कि दीपावली के बाद वित्त नियंत्रक के यहां से और धनराशि आने पर भुगतान किया जाएगा।
कोर्ट के आदेश पर पहले ही सहायक शिक्षक से बने हैं शिक्षामित्र : कोर्ट के आदेश के बाद पहले ही सहायक शिक्षक से शिक्षामित्रों को पहले ही हटाया जा चळ्का है। जिसकी मांग लगातार चल रही है। हालाकि शासन ने वेतन जरुर बढ़ाया मगर छह माह से मानदेय भेजा ही नहीं।
>> अक्टूबर में भेजी गई ग्रांट से भी हुए वंचित, जिलाधिकारी से मांग जल्द हो भुगतान
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