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Thursday, March 28, 2019

प्राइवेट स्कूल : स्कूलों में बिक रहीं किताबें, टीचरों को बना दिया 'सेल्समैन'




बच्चे के भविष्य पर कोई बात न आए, यह सोचकर अक्सर अभिभावक स्कूलों के फरमान के आगे झुक जाते हैं। ऐसे में उनका सहारा मजबूत सरकारी तंत्र ही बन सकता है। शिकायत मिलने का इंतजार करने की जगह अधिकारियों को मजबूत निगरानी तंत्र बनाना चाहिए, तभी अभिभावकों को राहत मिल सकेगी।
चार कमरों में सजी दुकान


ला-मार्टिनियर बॉयज में भी अभिभावक क्लास 6, 7 और 8 की किताबें पेमेंट देकर स्कूल से खरीद सकते हैं। स्कूल की बुक लिस्ट 2019-20 में बाकायदा ‘बुक शैल बी अवेलेबल फ्रॉम द कॉलेज ऑन पेमेंट’ का ऑप्शन है।

नहीं दिया कोई जवाब: स्कूल के स्तर पर किताबों की बिक्री के मामले में लामार्टिनियर बॉयज स्कूल का पक्ष जानने के लिए कई बार कोशिश की गई। बार-बार कॉल और मेसेज किया गया, लेकिन स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
असोसिएशन से जुड़े सभी स्कूलों ने फीस में नियमानुसार 9.23% ही बढ़ोतरी की है। किसी स्कूल में परिसर में कॉपी-किताबें बेची जा रही हैं तो इस पर बात की जाएगी और इसे रोका जाएगा।

-अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष,

अनऐडेड प्राइवेट स्कूल असोसिएशन

अधिनियम के अनुसार, कोई निजी स्कूल परिसर में कोई व्यावसायिक काम नहीं कर सकता। स्कूल परिसर में किताबें बेच रहा है तो नियम विरुद्ध है। अभिभावक जिला विद्यालय निरीक्षक ऑफिस में लिखित शिकायत कर सकते हैं। इसके बाद उचित कार्रवाई होगी।

-डॉ. मुकेश सिंह, डीआईओएस



स्टेशनरी खरीदिए... लेकिन हमारी पसंद से


कई निजी स्कूलों ने किताबों के साथ स्टेशनरी की लिस्ट भी अपने हिसाब से तय की है। अभिभावकों को कलर बॉक्स, पेंसिल और पेंट ब्रश और फेविकोल तक तय ब्रैंड का खरीदना पड़ रहा है। लामार्टिनियर बॉयज स्कूल में नर्सरी क्लास की बुक लिस्ट 2019-20 में अनडस्ट चॉक, रंगीन चॉक, प्लास्टिक क्रियॉन्स, वॉटर कलर, शेड पेंसिल और ब्रश तक का ब्रैंड लिखा है। इसी तरह सेंट फ्रांसिस स्कूल ने नर्सरी क्लास के लिए 6 पेंसिल और 6 इरेजर पहले से ही निर्धारित कर दी हैं।
एलडीए कॉलोनी सेक्टर-आई स्थित एलपीएस में कमरों में किताबों की बिक्री हो रही है। इन कमरों के बाहर बाकायदा किताबों की रेट लिस्ट भी चस्पा है।
अभिभावकों को तय दुकान से खरीदनी पड़ रहीं खास ब्रैंड की स्टेशनरी


सीबीएसई स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें

सीबीएसई बोर्ड से जुड़े स्कूल सिलेबस में एनसीईआरटी की किताबें ही शामिल कर सकते हैं, लेकिन निजी स्कूल कमिशन के लिए निजी प्रकाशकों की किताबें चलवा रहे हैं। इंदिरानगर निवासी एक अभिभावक ने बताया कि उनका बेटा दिल्ली पब्लिक स्कूल में छठी में पढ़ता है। उनसे निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने को कहा गया है, जिनकी कीमत करीब 5 हजार रुपये है, जबकि निशातगंज स्थित बुक स्टोर के मालिक नावेद के मुताबिक, एनसीईआरटी का सेट 500 रुपये में मिल जाता है।

30% तक कमाते हैं कमिशन

निजी प्रकाशक अपनी किताबें लागू करवाने के लिए स्कूलों को कमिशन देते हैं। स्कूल भी दुकानदारों से कमिशन वसूलते हैं। इस तरह स्कूलों को 10 से 30 फीसदी तक कमिशन मिलता है। स्कूल अभिभावकों को लिस्ट थमा कर मौखिक तौर पर बता देते हैं कि किस दुकान से किताबें खरीदनी हैं। सेंट फिडेलिस सहित कई स्कूलों ने वेबसाइट पर दुकानों का नाम अपलोड कर रखा है। तय दुकान से किताबें लेने पर अभिभावकों को कोई छूट नहीं मिलती, जबकि खुले बाजार में उन्हें 20% तक की छूट आराम से मिल जाती है।

एक ही बार में वसूल रहे हजारों

उप्र स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनिमय) अधिनियम-2018 के मुताबिक, स्कूल 20 हजार से अधिक शुल्क होने पर इसमें 9.23% से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं कर सकते। इसके साथ साल में चार शुल्क के अलावा कोई और शुल्क नहीं ले सकते, लेकिन निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा दूसरे मदों में भी वसूली कर रहे हैं। अभिभावक संघ के सदस्य राजेश के मुताबिक, गोमतीनगर कॉन्वेंट स्कूल हर साल अनुअल फीस लेता है। वहीं, लॉरेटो कॉन्वेंट कई मदों में पैसे वसूलता है, लेकिन इस बार स्कूल की वेबसाइट पर साल 2019-20 की फीस का ब्योरा अपलोड नहीं किया गया है।

•सैयद सना, लखनऊ: अभिभावकों का शोषण रोकने के लिए सरकार ने नियम बनाए, लेकिन निजी स्कूल मानने को तैयार नहीं हैं। कुछ स्कूलों ने परिसर में ही किताबों की दुकान सजा ली है और किताब बेचने के लिए टीचरों की ड्यूटी लगा दी है। वहीं, कुछ स्कूल तय दुकानों से खास ब्रैंड की ही किताबें और स्टेशनरी खरीदने को बाध्य कर रहे हैं। जरूरत हो या न हो... पेंसिल, कलर, फेविकोल सहित हर सामान तय दुकान से ही खरीदनी होगा।


एलडीए कॉलोनी सेक्टर-आई स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल में घुसते ही चार कमरों में किताब की दुकानें खुली हैं। यहां किताबें बेचने के लिए टीचरों की ड्यूटी लगाई गई है। इन कमरों तक पहुंचने में अभिभावकों को परेशानी न हो, इसके लिए जगह-जगह आगे जाने का रास्ता दिखाने वाले पेपर चस्पा हैं। बाहर के किसी व्यक्ति को भनक न लगे, इसके लिए गार्ड और आया को भी इस काम में लगाया गया है।

दुकान को बताया कैम्प: स्कूल में ही किताबों की बिक्री के बारे में पूछने पर प्रबंधक लोकेश सिंह ने दलील दी कि स्कूल की ब्रांचों में सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें दी जा रही हैं। अभिभावकों के अनुरोध पर तीन दिन के लिए कैम्प लगाया है। हम किसी तरह की स्टेशनरी नहीं बेच रहे और न ही अभिभावकों को किसी दुकान से किताबें लेने के लिए कह रहे हैं।

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