लखनऊ : विभाग में फंसी फीस, बच्चों को नाम काटने की धमकी, आरटीई की प्रक्रिया बेपटरी, अभिभावक उधार लेकर जमा कर रहे शुल्क।
लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) का सिस्टम बेपटरी है। अफसरों की नजरअंदाज का खामियाजा बच्चों और अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। स्कूलों में प्रतिपूर्ति शुल्क न पहुंचने पर उन्हें नाम काटने की धमकी दी जा रही है।
ठाकुरगंज निवासी मोहम्मद इकरार दिव्यांग हैं। वह ई-रिक्शा चलाते हैं। बेटी महक मोहल्ले के ही स्कूल में पढ़ती हैं। स्कूल ने परीक्षा शुल्क के तौर पर नौ सौ रुपये की मांग की। रुपये समय से न पहुंचने पर बच्ची को परीक्षा से वंचित व नाम काटने की धमकी दी। आखिर में इकरार ने उधार लेकर फीस अदा की। यह सिर्फ परीक्षा शुल्क का एक मसला है। स्थिति यह है कि निजी स्कूलों में आरटीई के तहत जहां जिम्मेदार अधिकतर बच्चों को प्रवेश दिलाने में नाकाम साबित हुए। वहीं दुर्बल आय वर्ग के जिन बच्चों को प्रवेश मिला, अब उनकी फीस भरपाई में हीलाहवाली कर रहे हैं।
शुल्क न मिलने पर स्कूल बच्चों को नाम काटने व परीक्षा से वंचित करने की धमकी दे रहे हैं।अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि समय पर स्कूलों को प्रतिपूर्ति शुल्क नहीं दिया जा रहा है। यह विभाग की गलती है। स्कूलों को भी शिक्षकों को वेतन देना पड़ता है। प्रतिपूर्ति शुल्क आरटीई एक्ट के अनुसार जारी किया जाए।
दरअसल, शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला होना है। इसको लेकर बेसिक शिक्षा विभाग ने एक मार्च से ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की। इतना ही नहीं ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में हजारों की संख्या में आवेदन होता देख विभाग पहले ही आवेदन प्रोसीजर का ब्लाक कर चुका है।
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