शिक्षकों की पोस्टिंग, ट्रांसफर, समायोजन, जांच के नाम पर अवैध वसूली करने वाले बीएसए ऑफिस के दो वरिष्ठ लिपिक एंटी करप्शन की जांच में दोषी पाए गए हैं। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने के आरोप साबित हो गए हैं। एंटी करप्शन कोर्ट में दोनों बाबुओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। इसमें एक बाबू सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
एंटी करप्शन बरेली यूनिट के प्रभारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि शासन से बीएसए ऑफिस के वरिष्ठ लिपिक भूपेंद्र पाल सिंह के खिलाफ जांच का आदेश हुआ था। नवंबर 2006 से मार्च 2012 तक के उनके कार्यकाल की जांच की गई। आय से अधिक संपत्ति होने पर उनके खिलाफ थाना बारादरी में 29 दिसंबर 2016 को मुकदमा दर्ज कराया गया था। मुकदमे की विवेचना एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर चरन सिंह चौहान ने की। उन्होंने पाया कि वरिष्ठ लिपिक ने इस दौरान आधा दर्जन से ज्यादा प्लॉट खरीदे। इंडिका कार ली। राइफल का लाइसेंस बनवाया। खर्च के मुताबिक आमदनी का ब्योरा मांगने पर वह नहीं दे पाए। उन्हें आय से अधिक संपति अर्जित करने का दोषी पाया गया।
बीएसए ऑफिस के प्रधान सहायक कार्यालय अनोखेलाल की शिकायत पर शासन के आदेश से एक जनवरी 1997 से 31 जुलाई 2000 तक उनके कार्यकाल की जांच की गई। अनोखेलाल ने अपनी आमदनी से 108 फीसदी ज्यादा खर्च किया। उन्होंने तमाम प्लॉट व मकान खरीदे। इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह की ओर से अनोखेलाल के खिलाफ 2018 में थाना बारादरी में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज कराया गया था।मुकदमे की विवेचना सीनियर इंस्पेक्टर सुरेश दत्त मिश्रा कर रहे थे। इंस्पेक्टर ने प्रॉपर्टी का आकलन करने के बाद उनसे आमदनी का हिसाब मांगा। वह हिसाब नहीं दे पाए। दोनों बाबुओं के खिलाफ एंटी करप्शन ने चार्जशीट कोर्ट भेज दी है।
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