फर्जी शिक्षकों की जांच एसटीएफ द्वारा शुरू किए जाने के बाद से ही फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों में हड़बड़ी मची हुई है। बीएसए कार्यालय गोरखपुर में रोज किसी न किसी शिक्षक को प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायत पर स्पष्टीकरण देने को बुलाया जा रहा है तो वहीं तमाम शिक्षकों के प्रमाण पत्र सत्यापन के बाद फर्जी प्रमाणित हो चुके हैं। इनको बर्खास्त करने की तैयारी हो रही हैं।
ऐसे में फर्जी शिक्षकों ने बर्खास्तगी से बचने के लिए त्याग पत्र देने का नया पैतरा आजमाया और एक के बाद एक तीन शिक्षकों ने विभाग को डाक के माध्यम से अपना त्याग पत्र भेजा है। हालांकि त्याग पत्र का ये पैंतरा शिक्षको पर उल्टा पड़ा क्योंकि तीनों ही शिक्षकों के त्याग पत्र को स्वीकृत नहीं किया गया और ये कह दिया कि पहले प्रमाण पत्रों की जांच होगी उसके बाद ही त्याग पत्र स्वीकृत किया जाएगा। जिन तीन शिक्षकों ने विभाग को त्यागपत्र भेजा है उन तीनों ही शिक्षकों के नाम संदिग्ध शिक्षकों की सूची में शामिल हैं और तीनों ही शिक्षकों को स्पष्टीकरण देने के लिए विभाग की ओर से नोटिस भी जारी किया जा चुका था। स्पष्टीकरण के नोटिस के बाद संदिग्ध शिक्षक का स्पष्टीकरण तो नहीं आया लेकिन डाक के माध्यम से त्याग पत्र जरूर भिजवा दिया। विभागीय सूत्रों की माने तो अभी कई और शिक्षक इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं
त्याग पत्र में बीमारी और पारिवारिक वजह
त्याग पत्र देने वाले शिक्षकों में विकास खण्ड बड़हलगंज के एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं और खजनी क्षेत्र स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत महिला शिक्षिका है। महिला शिक्षका ने 2015 एवं त्याग पत्र देने वाले प्रधानाध्यापक ने 2009 बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी शुरू की थी। महिला शिक्षक ने त्याग पत्र देने की वजह पारिवारिक बताया है और प्रधानाध्यक ने त्याग पत्र देने की वजह अपनी बीमारी बताया है। हालांकि क्या बीमारी है ये त्याग पत्र में नहीं बताया गया है।
बोले बीएसए
तीनों ही शिक्षकों को प्रमाण पत्र सम्बंधी स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस दिया गया था लेकिन उनका त्याग पत्र पोस्ट के माध्यम से मिला है। इन तीनों शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच हो रही है। त्याग पत्र स्वीकृत नहीं किये गये हैं। जांच के बाद फैसला होगा।
- भूपेन्द्र नारायण सिंह, बीएसए
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