देश को उच्च शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाने की भारत सरकार की मंशा फिलहाल पूरी होती नहीं दिख रही है। सरकार की ओर से किए गए प्रयासों के बावजूद विदेशी छात्र भारत में बहुत ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
पिछले पांच साल में देश में विदेशी छात्रों की संख्या में महज पांच हजार का इजाफा हुआ है। विदेशी छात्रों को दाखिला देने के लिए शुरू हुई महत्वाकांक्षी योजना ‘स्टडी इन इंडिया' भी कछुआ गति से आगे बढ़ रही है। पिछले पांच साल के अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि विदेशी छात्रों की संख्या में मात्र 5134 का इजाफा हुआ है। वर्ष 2014-15 में देश में कुल 42293 विदेशी छात्र थे। 2018-19 में यह आंकड़ा 47427 पहुंच गया। इस वर्ष देश में कुल विदेशी छात्रों की संख्या रिकॉर्ड 47517 पहुंच गई थी। 2017-18 में इसमें बड़ी गिरावट आई और विदेशी छात्रों की संख्या घटकर 46144 पर आ गई।
2018-19 में संख्या फिर बढ़कर 47427 पर पहुंच गई है। इसमें से 12747 छात्र यानी कुछ छात्रों के एक चौथाई नेपाल से हैं। 4657 अफगानिस्तान और 2075 छात्र बांग्लादेश से हैं। खास बात यह है कि वर्ष 2017-18 में ही केंद्र सरकार ने देश में स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया था। इसके तहत पांच साल में दो लाख विदेशी छात्रों को देश में लाने का लक्ष्य था। योजना के सुस्त होने का अंदाजा इससे लगा सकते है कि इसके जरिये दो साल में करीब पांच हजार विदेशी छात्रों ने ही भारत में दाखिला लिया है।
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