हाईकोर्ट : जाति प्रमाण पत्र फर्जी तो नौकरी स्वतः होगी शून्य।
जाति प्रमाणपत्र फर्जी तो नौकरी शून्य
प्रयागराज | विधि संवाददाता**19 Nov 2019
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सक्षम अधिकारी यदि जाति प्रमाण पत्र को फर्जी घोषित कर देता है तो उसके आधार पर प्राप्त नियुक्ति स्वत: शून्य हो जाएगी। इसके लिए यह जरूरी नहीं कि विभागीय जांच कराई जाए।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस देकर बर्खास्त किया जाना विधि के विपरीत नहीं है। इसलिए आईआईटी कानपुर द्वारा विभागीय अनुशासनिक जांच कार्रवाई कर याची को बर्खास्त करना नियमों के विपरीत नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रमाकांत की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। आईटीआई कानपुर की ओर से अधिवक्ता रोहन गुप्ता एवं केंद्र सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने याचिका का प्रतिवाद किया। याची आईआईटी कानपुर में बस कंडक्टर नियुक्त किया गया था। उसने यह नियुक्ति स्वयं के अनुसूचित जाति मझवार के प्रमाण पत्र के आधार पर प्राप्त की थी। इसकी शिकायत की गई तो तहसीलदार की जांच के बाद याची को केवट जाति का पाया गया जो अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है। इस पर याची के जाति प्रमाणपत्र को गलत बताते हुए रद्द कर दिया गया।
हाईकोर्ट का फैसला
' केवट ने मझवार जाति बता पाई थी आईआईटी में नौकरी
' बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज
जाति प्रमाणपत्र फर्जी तो नौकरी शून्य
प्रयागराज | विधि संवाददाता**19 Nov 2019
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सक्षम अधिकारी यदि जाति प्रमाण पत्र को फर्जी घोषित कर देता है तो उसके आधार पर प्राप्त नियुक्ति स्वत: शून्य हो जाएगी। इसके लिए यह जरूरी नहीं कि विभागीय जांच कराई जाए।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस देकर बर्खास्त किया जाना विधि के विपरीत नहीं है। इसलिए आईआईटी कानपुर द्वारा विभागीय अनुशासनिक जांच कार्रवाई कर याची को बर्खास्त करना नियमों के विपरीत नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रमाकांत की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। आईटीआई कानपुर की ओर से अधिवक्ता रोहन गुप्ता एवं केंद्र सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने याचिका का प्रतिवाद किया। याची आईआईटी कानपुर में बस कंडक्टर नियुक्त किया गया था। उसने यह नियुक्ति स्वयं के अनुसूचित जाति मझवार के प्रमाण पत्र के आधार पर प्राप्त की थी। इसकी शिकायत की गई तो तहसीलदार की जांच के बाद याची को केवट जाति का पाया गया जो अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है। इस पर याची के जाति प्रमाणपत्र को गलत बताते हुए रद्द कर दिया गया।
हाईकोर्ट का फैसला
' केवट ने मझवार जाति बता पाई थी आईआईटी में नौकरी
' बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज
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