बेसिक शिक्षा विभाग में इन दिनों एक मास्टर साहब की बड़ी चर्चा है। वे 35 लाख रुपये की लग्जरी कार से घूमते हैं। ठाठ देखकर कुछ लोगों ने उनकी आय से अधिक संपत्ति को लेकर शिकायत कर दी। बीएसए ने जांच के लिए एक खंड शिक्षा अधिकारी को नामित कर दिया। मजे की बात तो यह है कि खंड शिक्षा अधिकारी ने जांच से हाथ खड़े कर दिए हैं।
बरेली के हर ब्लॉक में कुछेक शिक्षक खंड शिक्षा अधिकारियों के बेहद करीबी हैं। ये वो शिक्षक हैं, जो कक्षा में पढ़ाने की जगह ब्लॉक में अधिकारियों के सिपाहसालार हैं। वेतन बिल से लेकर निरीक्षण तक के काम इन के ही जिम्मे है। साहब से कोई काम कराना हो तो बिना इन्हें खुश किए नहीं हो सकता है। ऐसे ही एक मास्टर साहब इन दिनों लग्जरी कार से रौला काट रहे हैं। कुछ संगी-साथियों ने बीएसए से शिकायत करते हुए कहा कि 50-60 हजार रुपये पगार वाला आदमी इतनी महंगी कार से कैसे घूम सकता है। शहर में तीन-तीन मकान हैं। कई प्लाट भी खरीद डाले हैं। शिकायत हुई तो जांच भी होनी थी। जांच के लिए एक खंड शिक्षा अधिकारी को नामित किया गया। मगर वो आपसी सम्बंधों की दुहाई देते हुए जांच से इंकार कर रहे हैं।
तो इसलिए कर दिया मना: खंड शिक्षा अधिकारी को जांच मिली तो वो चौंक गए। अपने ही एक साथी बीईओ के चहेते की जांच बड़ा ही टेढ़ा काम लगा। अगर सही से जांच की तो मास्टर का विकेट गिर जाएगा। सही जांच नहीं की तो शिकायत करने वाले उनके ही पीछे पड़ जाएंगे। खंड शिक्षा अधिकारी ने बीच का रास्ता निकालते हुए कह दिया कि अकेले जांच नहीं करेंगे। इसके लिए तीन अधिकारियों की कमेटी बना दी जाए, जिससे जांच के बाद अकेले उनको ही निशाने पर नहीं लिया जाए।
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